जौनपुरः आठ साल से वेतन तो मिल रहा है, लेकिन खाली कुर्सी पर बैठने के लिए आदेश का इंतजार है। यह हाल है जनपद के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की। यहां वर्ष 2016 के बाद पदोन्नति बंद है। इसके चलते शिक्षक पद से वंचित हैं।
जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक व प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य के सौ से अधिक पद रिक्त हैं। इतना ही नहीं आदेश के इंतजार में नगर क्षेत्र के अधिकांश विद्यालय शिक्षक विहीन हो गए हैं। जनपद के परिषदीय स्कूलों में पदोन्नति प्रक्रिया जिम्मेदारों की उदासीनता की भेंट चढ़ गई है। लगभग सात सौ से अधिक पद रिक्त हैं और प्रभारी के सहारे काम चलाया जा रहा है।
इसके चलते जिले में अभी तक वर्ष 2009 तक कार्यभार ग्रहण करने वाले शिक्षक ही लाभ पा सके हैं, जबकि सूबे के कई जनपदों में 2013 तक के शिक्षक प्रमोशन पाकर तीन से चार हजार प्रति माह अधिक वेतन ले रहे हैं। वर्तमान में जिले के आरटीई एक्ट के तहत स्वीकृत पद के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पांच सौ से अधिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 200 पद रिक्त हैं। इस प्रकार जनपद में नियमानुसार पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए तो वर्ष 2012 तक जनपद में नियुक्त सहायक अध्यापक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। एक साल पूर्व शासन के निर्देश पर जिले के 424 शिक्षकों की पदोन्नति कर सूची पोर्टल पर अपलोड कर दी गई थी। विद्यालयों का आवंटन शासन स्तर से आनलाइन किया जाना था। इसी बीच प्रकरण न्यायालय में चले जाने के कारण पदोन्नति की प्रक्रिया पर विराम लग गया।
पदोन्नति न होने के कारण शिक्षकों को हर महीने वेतन में साढ़े चार से पांच हजार रुपये का नुकसान हो रहा है तथा प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक न होने से पठन-पाठन के साथ-साथ समय पड़ने पर आवश्यक विभागीय सूचनाओं के आदान-प्रदान और अन्य आवश्यक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। प्रदेश के कई जिलों में जहां वर्ष 2013 तक नियुक्त प्राथमिक शिक्षकों को पदोन्नति मिल चुकी है वहीं जनपद में 30 जून 2009 के बाद नियुक्त प्राथमिक शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हो सका है। इस पर जल्द अमल किया जाए।
– अमित सिंह, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ।
पदोन्नति का मामला उच्च न्यायालय में चले जाने के कारण प्रक्रिया रोक दी गई। न्यायालय के निर्णय के बाद शासन स्तर से शीतावकाश में पदोन्नति की तैयारी है। रिक्त पदों के सापेक्ष अहं शिक्षकों को इसका लाभ मिलेगा।
– डाक्टर गोरखनाथ पटेल, जिला बेसिक
शिक्षा अधिकारी।