लखनऊ: राजकीय माध्यमिक स्कूलों में 3,777 सहायक अध्यापकों व प्रवक्ताओं की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने संशोधित नियमावली को मंजूरी दे दी है। मजूरा नियमावली में संशोधन के जरिये समकक्ष अर्हता शब्द हटा दिया गया है। पांच वर्ष बाद भर्तियां होने से युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा। न्यायालयों में वाद लंबित नहीं होंगे और आसानी से भर्ती की जा सकेगी।
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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) राजकीय माध्यमिक स्कूलों में 436 प्रवक्ताओं और 3,341 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया अब शुरू कर सकेगा। उप्र अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) एलटी ग्रेड सेवा (षष्टम संशोधन) नियमावली, 2024 व उप्र विशेष अधीनस्थ शैक्षणिक (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (द्वितीय संशोधन) नियमावली 2024 को लागू किए जाने के बाद अब सहायक अध्यापकों यानी एलटी ग्रेड शिक्षकों के लिए स्नातक और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त संस्थान से बीएड उपाधि जरूरी होगी। वहीं प्रवक्ता पद के लिए स्नातकोत्तर के साथ बीएड उपाधि होना जरूरी है। अभी तक जो नियमावली लागू थी उसमें स्नातक व समकक्ष उपाधि व बीएड और समकक्ष उपाधि होना अनिवार्य लिखा था। अब इस शब्द को हटा दिया गया है। उदाहरण के तौर पर अगर अंग्रेजी के शिक्षक की भर्ती होनी है तो अभी तक अंग्रेजी साहित्य के साथ अंग्रेजी भाषा में स्नातक व स्नातकोत्तर उत्तीर्ण छात्रों को अपने विश्वविद्यालय से प्रमाणपत्र लाना पड़ता था ये समकक्ष कोर्स हैं जिसके कारण न्यायालय में वाद दायर हो रहे थे।
स्नातक, स्नातकोत्तर व बीएड के समकक्ष कोर्स निर्धारण के लिए उच्च शिक्षा विभाग सक्षम विभाग है। ऐसे में इस प्रकरण के निपटारे के लिए उच्च स्तरीय अंतर विभागीय कमेटी बनाई गई जिसमें माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से निदेशक माध्यमिक एवं अपर शिक्षा
निदेशक (राजकीय), प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा द्वारा नामित अधिकारी और सचिव लोक सेवा आयोग द्वारा नामित अधिकारी को शामिल किया गया। कमेटी ने बैठक कर तय किया कि नियमावली में संशोधन किया जाए और समकक्ष शब्द को हटाया जाए और जिस विषय के सहायक अध्यापक व प्रवक्ता की भर्ती हो तो विस्तृत विज्ञापन निकाला जाए जिसके कारण किसी भी तरह की भ्रांति की गुंजायश न हो।