सिद्धार्थनगर जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में अजीबोगरीब खेल चल रहा है। जालसाजी सहित कई मामले में आरोपित एक वरिष्ठ लिपिक का गैर जनपद स्थानांतरण हो गया था।
विभाग ने छह माह बाद उसे गोपनीय रूप से रिलीव कर दिया था, लेकिन बीएसए इससे इन्कार कर रहे थे। उन्हें लिपिक का रिलिविंग की कापी भेजी गई तब उन्होंने कहा कि यह आदेश उन्होंने ही जारी किया था। उन्होंने यह भी बताया कि लिपिक दोबारा बीएसए कार्यालय ज्वाइन करने के लिए पहुंचा था, लेकिन उन्होंने उसे लौटा दिया। उन्होंने उसे सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के पास भेजा है। आगे वहां का जैसा आदेश होगा, उसका वह अनुपालन करेंगे।
सिद्धार्थनगर बीएसए कार्यालय में तैनात सेवारत लिपिक मुकुल मिश्र पूर्व बीएसए के फर्जी हस्ताक्षर कर
दर्जनों फर्जी मान्यता आदेश जारी करने के आरोप में मुख्य आरोपित है।
इन्हीं पर उर्दू भर्ती पत्रावली गायब करने का भी आरोप है। एसटीएफ की जांच के बाद लिपिक मुकुल मिश्रा, शिवसागर चौबे, बीएसए देवेंद्र कुमार पाण्डेय पर सदर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। चार माह से इसकी विवेचना एसटीएफ कर रही है। 11 जून को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद (प्रयागराज) के तत्कालीन सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने वरिष्ठ लिपिक मुकुल मिश्रा को उसी पद पर बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर (परिषदीय अनुभाग) में रिक्त पद पर स्थानांतरण कर दिया था। इस स्थानांतरण पर छह माह तक अधिकारी सन्नाटा खींचे रहे और लिपिक सिद्धार्थनगर में कार्य करता रहा। दिसंबर में अचानक वरिष्ठ लिपिक को बीएसए ने रिलीव कर दिया गया, लेकिन बीएसए बुलंदशहर
ने लिपिक को अपने यहां ज्वाइन ही नहीं करने दिया। उन्होंने बताया कि उनके यहां वरिष्ठ सहायक का कोई पद रिक्त नहीं है। इस घटना के बाद भी बीएसए सिद्धार्थनगर यह स्वीकार ही नहीं कर रहे थे कि लिपिक मुकुल मिश्रा को उन्होंने ही रिलीव किया था।
इस संबंध में देवेंद्र कुमार पाण्डेय, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने बताया कि लिपिक को मैंने ही रिलीव किया था। रोजाना तमाम पत्र हस्ताक्षर करने के लिए आते रहते हैं। ऐसे में ध्यान नहीं रहा कि लिपिक मुकुल मिश्रा को रिलीव किया गया है। बुलंदशहर में पद नहीं होने के कारण वह दोबारा कार्यालय ज्वाइन करने के लिए आया था, लेकिन उसे ज्वाइन नहीं कराया गया है। उसे वापस सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के पास भेज दिया गया है। अब आगे वहां का जैसा आदेश होगा, किया जाएगा।