प्रयागराज : वर्ष 2012 की एलटी ग्रेड भर्ती में प्रयागराज मंडल में 22 अभ्यर्थियों के चयन के लिए यूपी बोर्ड के टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) के पन्ने बदलने के गंभीर आरोप में पांच कर्मचारियों पर मुकदमा जरूर दर्ज हुआ है, लेकिन कई और फंसेंगे। टीआर का पन्ना व संबंधित अभ्यर्थी के स्कूल से भी रिकार्ड गायब होने का मामला आने के बाद भी एफआइआर दर्ज न कराना तत्कालीन अधिकारियों को महंगा पड़ सकता है।
वर्ष 2012 में राजकीय हाईस्कूलों में एक प्रधानाध्यापक तथा सात सहायक अध्यापकों का पद सृजन हुआ था। उस समय मेरिट के आधार पर मंडल स्तर पर भर्ती होती थी। ऐसे में सुनियोजित तरीके से अधिक अंक दर्शा कर फर्जी मार्कशीट तैयार की गई, ताकि मेरिट के आधार पर चयन
• 2012 की एलटी भर्ती में 22 अभ्यर्थियों के स्कूल और बोर्ड के रिकार्ड हैं गायब
• क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज की ओर से दर्ज मुकदमे में दोषियों की नौकरी फंसी
हो सके। बाद में सत्यापन में मामला पकड़ में न आए, इसके लिए बोर्ड के टीआर का पेज बदलकर स्कूल का रिकार्ड भी गायब कर दिया गया। वर्ष 2016 में सत्यापन का एक मामला आया तो क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज के तत्कालीन अधिकारियों/कर्मचारियों ने अनसुना कर दिया। इसके बाद अभ्यर्थी ने स्कूलों से अपने रिकार्ड जुटाकर क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत किया, तब पता चला कि टीआर का पेज फाड़ा गया है। यह रिपोर्ट उस समय गठित जांच समिति ने दी है।
उस समय मामले में एफआइआर दर्ज नहीं कराए जाने को भी साजिश का हिस्सा माना जा रहा है। अब मुकदमा दर्ज होने के बाद तत्कालीन अधिकारियों को जांच के दौरान जवाब देना होगा कि मामला सामने आने के बाद कार्यवाही क्यों नहीं की गई। अब जिन पांच कर्मचारियों के विरुद्ध सिविल लाइंस थाने में क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज के उप सचिव (प्रशासन) अतुल कुमार सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया है, उनमें से तीन सेवानिवृत्त हो गए हैं और दो कर्मचारी वर्तमान में बोर्ड मुख्यालय में कार्यरत हैं। बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने मामला सामने आने के बाद इसे गंभीरता से लिया है। अब कार्यरत दोनों कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। मामले में बोर्ड विधिक राय भी ले रहा है।