प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बार नियुक्ति पाने का तथ्य छिपाकर दूसरे पद पर दोबारा आश्रित कोटे में हासिल की गई अनुकंपा नियुक्ति को अवैध माना और बुलंदशहर में प्राइमरी स्कूल सलेमपुर के प्रधानाध्यापक शिवदत्त शर्मा की नियुक्ति निरस्त किए जाने को सही करार दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला तथा न्यायमूर्ति योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक बार आश्रित कोटे में नियुक्ति हासिल करने के बाद दोबारा दूसरे पद पर
• तथ्य छिपाकर ली गई नौकरी नियुक्ति निरस्त करने के मामले में हस्तक्षेप से इन्कार
आश्रित कोटे में नियुक्ति अवैध है। एक बार नियुक्ति के साथ ही अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार समाप्त हो जाता है। सेवाकाल में पिता के निधन के बाद 1981 में याची जूनियर हाईस्कूल बड़ागांव बुलंदशहर में अनुकंपा आधार पर चौकीदार नियुक्त हुआ। फिर बीएड करने के लिए अनुमति मांगी। बीएसए ने अवैतनिक छुट्टी मंजूर की। वर्ष 1986 में बीएड योग्यता के
आधार पर उसे सहायक अध्यापक पद पर आश्रित कोटे में नियुक्त किया गया। 2018 में शिकायत मिली कि याची ने सहायक अध्यापक पद प्राप्त करने के लिए चौकीदार के रूप में पिछली नियुक्ति को छिपाया था। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्पष्टीकरण मांगा। सफाई दी गई कि अनुमति लेकर बीएड की उपाधि ली। कमेटी द्वारा सहायक अध्यापक नियुक्त किया गया। फिर जांच कमेटी गठित की गई जिसकी रिपोर्ट पर सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति निरस्त कर दी गई।
इसके खिलाफ हाई कोर्ट में
याचिका दायर की गई। एकल पीठ ने हस्तक्षेप से इन्कार करते हुए नियुक्ति निरस्त करने का आदेश सही माना किंतु सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए वेतन की वसूली न करने का आदेश दिया। इसे विशेष अपील में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा, अनुकंपा के आधार पर प्रारंभिक नियुक्ति को छिपाकर दोबारा नियुक्ति पाना अनुकंपा नियुक्ति कानून के उद्देश्य का उल्लंघन है। याची सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की अर्हता नहीं रखता था। कोर्ट ने नियुक्ति निरस्त करने के आदेश को सही माना