दिल्ली: आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को भी अब स्कूली विद्यार्थियों की तरह अपार (आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री) पहचान पत्र से लैस किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय महिला बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर इस पहल पर तेजी से काम करने में जुटा है।
मंत्रालय ने इस पहल के संकेत तब दिए हैं, जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूली शिक्षा का ढांचा पूरी तरह से बदल गया है। इसके तहत फाउंडेशन स्तर पर बच्चों को शुरुआत के तीन साल तक आंगनबाड़ी या बालवाटिका में पढ़ाई करनी होती है। ऐसे में बच्चों पर प्रारंभिक स्तर से ही निगरानी बढ़ाने को लेकर शिक्षा मंत्रालय का फोकस है।
शिक्षा मंत्रालय ने हालांकि यह प्रयास नए स्कूली ढांचे के तहत जुटाए जाने वाले आंकड़ों को ध्यान में रखकर शुरू किया है। अब तक प्राइमरी शिक्षा की शुरुआत पहली कक्षा से होती रही है, लेकिन नई व्यवस्था में अब इसकी गणना फाउंडेशन स्तर के शुरुआत से होनी है। शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो स्कूली स्तर पर अब तक देशभर के नौ करोड़ छात्रों को अपार आइडी के दायरे में लाया जा चुका है। बाकी छात्रों को भी इससे तेजी से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। मंत्रालय का मानना है कि सभी छात्रों की अपार आइडी तैयार हो जाने से देश के किसी भी हिस्से में विद्यार्थियों के पढ़ाई के लिए जाने पर उन्हें आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। उनके शैक्षणिक प्रदर्शन पर भी नजर रखी जा सकेगी। अभी आंगनबाडी में पढ़ने वाले बच्चे इस दायरे में नहीं है।
नामांकन में 37 लाख की कमीः
शिक्षा मंत्रालय ने यूडीआइएसई (यूनीफाइड डिस्ट्रिक्स इन्फार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन प्लस) 2023-24 की रिपोर्ट में स्कूली नामांकन में आई 37 लाख की गिरावट पर स्थिति स्पष्ट की। कहा कि पहले के मुकाबले स्कूली शिक्षा के यह आंकड़े अब और ज्यादा सटीक है। मंत्रालय के मुताबिक यूडीआइएसई प्लस के जो आंकड़े हैं वह राज्यों की ओर से मुहैया कराए जाते हैं। मंत्रालय सिर्फ इन्हें जांचता है। अब तक राज्य इन आंकड़ों को लगभग में दिया करते थे, लेकिन नई व्यवस्था के तहत इस बार आंकड़े छात्रों की संख्या के साथ ही उनके नाम और पिता के नाम के साथ मांगी गई थी।