शासन को भेजी गई मामले की जांच रिपोर्ट
लखनऊ: गोंडा में मदरसा आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत वर्ष 2013 से 2015 तक हुए फर्जीवाड़े में समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक अमरजीत सिंह पर निलंबन की कार्रवाई हो सकती है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि 299 मदरसों के पंजीकरण और उनकी मान्यता का रिकार्ड जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय और निदेशालय दोनों स्तर पर नहीं है। ऐसे में कागजों में चल रहे इन मदरसों के 800 शिक्षकों के मानदेय में करोड़ों रुपये की हेराफेरी के मामले में वह भ्रष्टाचार निवारण संगठन की प्रारंभिक जांच में दोषी पाए गए हैं। उनके विरुद्ध एक उच्चस्तरीय जांच सोमवार को शुरू हो गई है। सोमवार को शासन स्तर से फर्जीवाड़े की पूरी रिपोर्ट अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय से मांग ली गई है। उनके विरुद्ध कानपुर में रहते हुए छात्रवृत्ति घोटाले की एक जांच पहले से चल रही है। इस मामले में अमरजीत सिंह निलंबित भी हुए थे।

अमरजीत सिंह अप्रैल 2013 से मई 2015 तक गोंडा में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात थे। उन पर गोंडा में 870 पंजीकृत मदरसों में से 350 की मान्यता कागजों पर दिखाकर फर्जी तरीके से 800 शिक्षकों का मानदेय निकालने का आरोप है। इस भ्रष्टाचार की शिकायत डीजी भ्रष्टाचार निवारण संगठन से की गई थी। उनके आदेश पर गोंडा
299 मदरसों के पंजीकरण और उनकी मान्यता का रिकार्ड गायव, करोडों रुपयों की हुई हेराफेरी
की भ्रष्टाचार निवारण संगठन इकाई ने अमरजीत सिंह के साथ जिला अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में तैनात रहे मुख्य विकास अधिकारी गोंडा कार्यालय के बाबू मोहम्मद शमीम पर 800 शिक्षकों का मानदेय फर्जी तरीके से निकालने के आरोप की जांच शुरू की थी। मदरसों की मान्यता और पंजीकरण में फर्जीवाड़ा का पता लगाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत 357 मदरसों की फाइलें अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय को भेजी गई थीं। अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक ने एक टीम बनाकर इन फाइलों की जांच की। डिस्पैच रजिस्टर में केवल 58 फाइलों का मिलान हो सका। वहीं, 299 मदरसों की फाइलों का डिस्पैच मिलान मूल डिस्पैच रजिस्टर से नहीं हो सका। टीम ने 357 मदरसों का भौतिक सत्यापन किया तो पता चला कि इसमें 126 मदरसे तो मौके पर ही नहीं हैं। जांच के बाद 299 मदरसों का फर्जीवाड़ा मिलने पर भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने गोंडा में पुलिस में मामला दर्ज करा दिया है। इस प्रकरण के सामने आने के बाद अमरजीत सिंह सोमवार को आफिस नहीं आए। उनको लेकर समाज कल्याण निदेशालय में कई तरह की चर्चाएं होती रहीं।