लखनऊ, प्राइमरी-अपर प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील (एमडीएम) में कुछ और पोषक तत्वों से भरे खाद्य पदार्थों को शामिल करने पर सरकार विचार कर रही है। इसके तहत सप्ताह में एक या दो दिन 5 से 15 मिलीलीटर शहद तथा सप्ताह में एक दिन बाजरे का हलवा या लड्डू बच्चों को दिए जाएंगे। सरकार का मानना है कि इससे बच्चों में पौष्टिक तत्वों की कमी दूर होगी।
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केन्द्र सरकार ने इस संबंध में राज्यों को पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकारें अपने स्टेट बजट से बच्चों को मिड डे मील के साथ सप्ताह में एक या दो दिन 5 से 15 मिलीलीटर शहद व एक अन्य
से 15 मिलीलीटर शहद सप्ताह में एक या दो दिन बच्चों को दिया जाएगा
दिन बाजरे का हलवा या लड्डू बच्चों के मिड डे मील में शामिल कर सकते हैं। यह उसी प्रकार से होगा जैसे यूपी में यहां की राज्य सरकार अपने स्टेट बजट से बच्चों को मौसमी फल देती है।
बाजरे की खिचड़ीदेने को केंद्र ने दिए थे निर्देश
दो वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने ने यूपी में एमडीएम बाजरे की खिचड़ी परोसने को कहा था। इसके लिए बाजरे की पर्याप्त आपूर्ति करने का भरोसा भी दिया था लेकिन कुछ दिनों बाद ही बाजरे की आपूर्ति नहीं हो पाने से फिलहाल प्रदेश में एमडीएम में बच्चों को बाजरे की खिचड़ी दिए जाने की योजना बन्द हो गई है। ऐसे में एमडीएम में बाजरे का हलवा या लड्डू दिए जाने को लेकर भी प्रदेश में संदेश व्यक्त किया जा रहा है। प्रदेश के मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम छापने की शर्त पर बताया कि मैन्यू में नए आइटम जोड़े जाने की घोषणा तो कर दी जाती है लेकिन उसके लिए कच्चा माल उपलब्ध नहीं कराया जाता। केन्द्र सरकार ही एमडीएम के लिए गेहूं-चावल आदि राज्यों को आपूर्ति करती है।
मधुमक्खी पालकों को भी मिलेगा लाभ
केन्द्र सरकार के पत्र में कहा गया है कि शहद के माध्यम से न सिर्फ बच्चों में पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है बल्कि शहद उत्पादन से जुड़े मधुमक्खी पालकों को भी इसका भरपूर आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है। साथ ही मांग बढ़ने पर मधुमक्खी पालन की तरफ काश्तकारों का रुझान बढ़ सकता है और वे अधिक से अधिक मधुमक्खी पालन कर इसका उत्पादन और बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।