सरकारी विभागों के पास वित्तीय वर्ष के बचे हुए करीब ढाई महीने में ही चालू वित्तीय वर्ष में स्वीकृत करीब 50 फीसदी बजट खपाने की बड़ी चुनौती है। बजट खर्च की 31 दिसंबर तक की रिपोर्ट बता रही है कि मूल बजट के मुकाबले 54.5 तथा कुल बजट के मुकाबले 50.53 धनराशि ही खर्च की जा सकी है। विकास कार्यों पर बजट खर्च करने में विभागों ने अधिक सुस्ती दिखाई है इस मद में 56 फीसदी बजट खर्च करने की बड़ी चुनौती है।
प्रदेश सरकार इस समय नये वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट तैयार करा रही है। यह बजट फरवरी के दूसरे सप्ताह में विधानसभा में पेश होने की उम्मीद है। एक अप्रैल से नये बजट से प्रदेश सरकार कामकाज शुरू करेगी। इधर चालू वित्तीय वर्ष का बजट खपाने में ही विभागों के पसीने छूट रहे हैं। मूल बजट का 46 फीसदी और कुल बजट के लिहाज से करीब 50 फीसदी धनराशि खर्च करने के लिए महज तीन महीने ही मिले हैं। चंद रोज पूर्व प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट खर्च की समीक्षा की। जिसमें उन्हें बताया गया कि मूल बजट जो 7.36 लाख करोड़ से कुछ अधिक है उसके मुकाबले वित्तीय वर्ष के नौं महीने यानी 31 दिसंबर तक 54.5 बजट का खर्च हुआ है।
चिंताजनक बात यह थी कि विकास कार्यों से जुड़े पूंजीगत मद में कुल 43.9 बजट खर्च होने की जानकारी दी गई। राजस्व व्यय (वेतन, पेंशन, ब्याज व अन्य) के मद में 58.5 धनराशि खर्च होने की रिपोर्ट पेश की गई। खर्च के इस ब्यौरे को देखने के बाद मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि बजट खर्च करने में तेजी लाएं।
कुल बजट का 50 खर्च करने की चुनौती है
वहीं, वित्त विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष के मूल बजट के मुकाबले विकास कार्य(पूंजीगत व्यय) के मद में 31 दिसंबर तक कुल 39.07 बजट ही खर्च हो सके थे। राजस्व मद में 55.36 बजट खर्च हुआ है। कुल बजट के मुकाबले 31 दिसंबर तक कुल 50.53 बजट खर्च हो सका है। हालांकि वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बजट खर्च की यह गति संतोषजनक है। वित्तीय वर्ष के शुरूआती महीनों में लोकसभा चुनाव होने के कारण दिक्कतें थी। उसके बाद बारिश का मौसम शुरू हो जाने से तमाम विकास कार्य शुरू नहीं हो सके थे। अब बजट खर्च करने में तेजी आई है। 31 मार्च तक बजट खर्च की स्थिति बेहतर नजर आएगी।