नई दिल्ली, । केंद्र सरकार आयकर से जुड़ी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और आसान बनाने जा रही है। वित्त मंत्रालय की तरफ से आयकर अधिनियम-1961 में उन सभी बदलाव एवं सुधार का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसके तहत रिटर्न दाखिल करने से लेकर रिफंड और अन्य के मामलों को निपटाने में मदद मिलेगी। सुधार के बाद लोगों को आयकर रिटर्न दाखिल करने में भी आसानी होगी।
संभावना जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में मंत्रालय की तरफ से मसौदे को केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों के सामने रखा जाएगा। स्वीकृति मिलने के बाद आयकर की पूरी प्रक्रिया में सुधार से जुड़े काम शुरू हो जाएंगे।
वित्त मंत्रालय चाहता है कि आयकर से जुड़ी लंबित मामलों का निस्तारण हो और भविष्य में गैर जरूरी मामले विवाद में न फंसे। इसी को ध्यान में रखकर आम बजट को पेश करते हुए वित्तमंत्री ने आयकर अधिनियम में सुधार का ऐलान किया था, जिसके लिए छह महीने की समय-सीमा भी निर्धारित की गई थी। अब सूत्र बताते हैं कि सुधार प्रस्ताव से जुड़ा पूरा मसौदा तैयार किया जा चुका है। अगले कुछ सप्ताह में इसे सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया जा सकता है। उसके बाद फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में आयकर अधिनियम में सुधार का प्रस्ताव पेश किए जाने की तैयारी है। प्रस्तावित मसौदे के हिसाब से कर दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य लंबित विवादों को कम करना और करदाताओं के लिए आयकर से जुड़ी सारी प्रक्रिया को पारदर्शी और आसान बनाना है।
इस तरह के सुधार प्रस्तावित किए गए
■ फॉर्म की संख्या कम करके साधारण फॉर्म लाने का सुझाव
■ जमा किए जाने वाले फॉर्म की संख्या घटाने का प्रस्ताव
■ आयकर गणना करने आसान प्रक्रिया लाई जाएगी
■ असेसमेंट वर्ष और वित्त वर्ष की जगह कर निर्धारण वर्ष की व्यवस्था
■ रिफंड को पारदर्शी बनाया जाएगा
■ नोटिस में पूरे मामले की जानकारी मुहैया कराई जाएगी