प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जीजा और साली के बीच संबंध अनैतिक हो सकता है, लेकिन दोनों में प्रेम संबंध व पीड़िता के बालिग होने के कारण इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में जीजा पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है और पुलिस को दिए बयान में प्रेम संबंध होना स्वीकार किया है। दोनों के बीच संबंध मर्जी से बने हैं, जिसके कारण दुष्कर्म का आरोप नहीं बनता।
इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति समीर जैन ने आइपीसी की धारा 366, 376 और 506 के तहत आरोपित जीजा रमेश यादव की जमानत मंजूर कर ली। पीड़िता बालिग है और उसने शुरू में धारा 161 सीआरपीसी के तहत दर्ज अपने बयान में आरोपों से इन्कार किया था। हालांकि, बाद में उसने अभियोजन पक्ष के मामले
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपित की जमानत मंजूर की
- महिला ने दुष्कर्म का दर्ज कराया था बयान, पुरुष ने प्रेम संबंध
से तालमेल बिठाते हुए धारा 164 सीआरपीसी के अपने बयान में अपना रुख बदल दिया और दुष्कर्म का आरोप लगाया। कोर्ट ने कहा कि भले ही ऐसे रिश्ते को अनैतिक माना गया हो, लेकिन यह दुष्कर्म का अपराध नहीं है क्योंकि कथित पीड़िता बालिग है और उसके प्रेम संबंध रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि याची को जुलाई 2024 में गिरफ्तार किया गया था। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।