डीआईओएस ने नामावली देने पर लगाई रोक, एक दर्जन स्कूल प्रबंधक लौटाए गए
लखनऊ। कक्षा एक से लेकर 12 तक सरकारी व निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले 80 फीसदी बच्चों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी नहीं छात्र-छात्राओं के लिए बन सकी है, जबकि शैक्षिक सत्र कई मामलों में मददगार है आईडी 2024-25 पूरा होने को है। ये आईडी बच्चों के लिए हर तरह से फायदेमंद है, फिर भी स्कूल प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं दे रहे। इस लापरवाही से नुकसान बच्चों
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का होगा। यूपी बोर्ड दसवीं और बारहवीं के बच्चों की अपार आइडी न बनने से जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय ने रोल नंबर वाली नामावली देने
प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों में लगेंगे कैंप
प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों के प्रधानाध्यापक बच्चों की अपार आईडी न बनने का ठीकरा अभिभावकों पर फोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि अभिभावक सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस पर बीएसए राम प्रवेश ने हर विद्यालय में कैंप लगाकर अपार आईडी बनवाने के निर्देश दिए हैं।
डिजिटली भी होगा छात्रों को फायदा
अपार आईडी विद्यार्थियों का अहम पहचान पत्र है, जिसमें 12-अंकों का कोड होता है। इससे छात्रों के स्कोर कार्ड, मार्कशीट, ग्रेडशीट, डिग्री, डिप्लोमा, प्रमाण पत्र और सह-पाठ्यचर्या उपलब्धियों सहित सभी शैक्षणिक क्रेडिट की जानकारी आसानी से मिल सकेगी।
पर रोक लगा दी है। बुधवार को अपार आईडी न बनाने वाले एक दर्जन स्कूल प्रबंधकों को लौटा दिया गया। उन्हें निर्देश दिए कि अपार आइडी जल्द से जल्द बनवाएं।
स्कॉलरशिप और नौकरी सहित ये भी हैं फायदें
■ छात्रों को शिक्षा ऋण और स्कॉलरशिप आसानी से मिल सकेगी।
■ बच्चों को नौकरी मिलने में आसानी होगी।
■ स्कूल बदलने पर कोई दिक्कत नहीं।
■ शैक्षिक अभिलेखों के नाम पर फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा।
यह कार्ड भारत के सभी राज्यों में मान्य है।
सभी स्कूल कॉलेजों को बच्चों की अपार आईडी बनवानी है। इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अपार आइडी न बनने से बच्चों का नुकसान है।
राकेश कुमार, जिला विद्यालय निरीक्षक