शिक्षा के क्षेत्र में परिषदीय विद्यालयों के समय निर्धारण का विषय सदैव महत्वपूर्ण रहा है। विशेषकर गर्मियों और सर्दियों में विद्यालयों के संचालन का समय छात्रों और शिक्षकों की सहूलियत तथा शैक्षणिक गुणवत्ता को ध्यान में रखकर तय किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में, उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के सचिव द्वारा आईजीआरएस संदर्भ संख्या 60000240257716 के संबंध में उत्तर दिया गया है, जो विद्यालयों के समय निर्धारण के मुद्दे को स्पष्ट करता है।
समस्या और सुझाव
श्री शुभम मौर्य द्वारा प्रस्तुत याचिका में अनुरोध किया गया था कि बेसिक शिक्षा परिषद के समस्त विद्यालयों का समय गर्मियों में 01 मार्च से 31 अक्टूबर तक प्रातः 7.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और सर्दियों में 01 नवम्बर से 28 फरवरी तक प्रातः 9.00 बजे से दोपहर 2.00 बजे तक किया जाए। यह सुझाव छात्रों और शिक्षकों की सुविधा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर दिया गया था।
सचिव का उत्तर
सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद ने यह स्पष्ट किया कि परिषदीय विद्यालयों के लिए पहले ही समय-सारिणी निर्धारित की जा चुकी है। वर्तमान समय-सारिणी इस प्रकार है:
1. गर्मियों का समय: 01 अप्रैल से 30 सितम्बर तक प्रातः 8.00 बजे से अपराह्न 2.00 बजे तक।
प्रार्थना सभा/योगाभ्यास: प्रातः 8.00 बजे से 8.15 तक।
2. सर्दियों का समय: 01 अक्टूबर से 31 मार्च तक प्रातः 9.00 बजे से अपराह्न 3.00 बजे तक।
प्रार्थना सभा/योगाभ्यास: प्रातः 9.00 बजे से 9.15 तक।
यह समय राष्ट्रीय शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 के तहत निर्धारित शैक्षणिक घंटों के अनुसार तय किया गया है।
शैक्षणिक घंटों का महत्व
शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार, प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को निम्नलिखित समयानुसार पठन-पाठन प्राप्त होना चाहिए:
कक्षा 1 से 5: 800 घंटे।
कक्षा 6 से 8: 1000 घंटे।
इस समयावधि को पूरा करने के लिए विद्यालयों का संचालन निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार किया जाता है।
प्रकरण की स्थिति
सचिव ने स्पष्ट किया कि यह प्रकरण मांग और सुझाव से संबंधित है, इसलिए इसे जनसुनवाई पोर्टल पर पोषणीय नहीं माना गया। श्री शुभम मौर्य को इस निर्णय से अवगत कराने का अनुरोध किया गया है।
यह पत्र यह दर्शाता है कि परिषदीय विद्यालयों के समय निर्धारण में शैक्षणिक आवश्यकताओं और छात्रों की भलाई को प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि, इस मुद्दे पर लगातार संवाद और सुझाव आवश्यक हैं ताकि छात्रों और शिक्षकों की सहूलियत के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता भी बनी रहे।