प्रयागराज,
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी का शरीर उसकी खुद की संपत्ति है और उसकी सहमति, उसके व्यक्तिगत और अंतरंग जीवन के सभी पहलुओं में सर्वोपरि है। पति की भूमिका स्वामी या मालिक की नहीं बल्कि एक समान भागीदार की है, जो उसकी स्वायत्तता और व्यक्तित्व का सम्मान करने के लिए बाध्य है। इन अधिकारों को नियंत्रित करने या उनका उल्लंघन करने का प्रयास चाहे जबरदस्ती, दुर्व्यवहार या अंतरंग विवरणों को बिना सहमति के साझा करने के माध्यम से हो विश्वास और वैधता का घोर उल्लंघन है।
अपनी पत्नी के साथ अंतरंग क्षणों का वीडियो सोशल मीडिया पर बिना पत्नी की सहमति के शेयर करने वाले पति पर उसकी पत्नी ने मिर्जापुर के चुनार थाने में प्राथमिक दर्ज कराई है। प्राथमिकी को रद्द करने की मांग को लेकर पति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने कहा की पत्नी, पति का विस्तार नहीं है बल्कि यह वह एक स्वतंत्र व्यक्ति है जिसके अपने अधिकार इच्छाएं और निजता है। कोर्ट ने कहा यह सिर्फ पति का विधिक दायित्व ही नहीं नैतिक उत्तरदायित्व भी है कि वह इसका सम्मान करें। कोर्ट ने कहा की शादी से पति को उसकी पत्नी पर स्वामित्व या नियंत्रण नहीं प्राप्त हो जाता है ना ही पत्नी की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार को काम करता है। याची ने अपनी पत्नी के साथ आंतरिक क्षणों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया और उसके चचेरे भाई को भी भेज दिया, ऐसा करके उसने वैवाहिक संबंध की शुचिता को भंग किया है। कोर्ट ने कहा कि पुरुषों के लिए इस मानसिकता को त्यागने का यह सर्वोच्च क्षण है की पत्नी पति की जागीर होती है।
पति की ओर से दलील दी गई कि शिकायतकर्ता याची की विवाहित पत्नी है तथा ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि उसने वीडियो वायरल किया है। यह भी कहा गया कि प्राथमिकी काफी देर से दर्ज़ कराई गई है। कोर्ट ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए पति की याचिका खारिज कर दी।