नई दिल्ली, । स्कूली शिक्षा पर एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार हुआ है लेकिन सरकारी स्कूलों में दाखिले कोविड के दौरान हुई बढ़ोतरी की तुलना में कम हुए हैं। छह से 14 साल के बच्चों का नामांकन वर्ष 2018 के स्तर पर आ गया है। उत्तर प्रदेश में नामांकन के स्तर में सुधार हुआ है, जबकि बिहार में सीखने की दर और कक्षा पांच के छात्रों के लिए अंकगणित में दक्षता स्थिर है।
प्रथम संस्था द्वारा जारी वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (असर) 2024 के अनुसार, कोरोना महामारी ने न केवल शिक्षा प्रणाली को प्रभावित किया था बल्कि, सरकारी स्कूलों में नामांकन में भी अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई। महामारी के दौरान, सरकारी स्कूलों में नामांकित 6-14 वर्ष के बच्चों का अनुपात 2018 में 65.6 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 72.9 फीसदी हो गया। यह संख्या 2024 में 66.8 प्रतिशत हो गई। यह आंकड़ा लगभग 2018 के स्तर पर है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में स्थिति ठीक होने का असर है।रिपोर्ट में पाया गया कि 14 से 16 वर्ष के 82.2 बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल जानते हैं, लेकिन उनमें से केवल 57 बच्चे इसे शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करते हैं।
यूपी में 79.3 बच्चे स्कूल जा रहे
रिपोर्ट में कहा गया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे कम प्रदर्शन करने वाले राज्यों ने उल्लेखनीय सुधार किया है। उत्तर प्रदेश ने पूर्व-प्राथमिक शिक्षा में उत्साहजनक प्रगति दिखाई है। 3-4 साल के बच्चों के बीच नामांकन में दो फीसदी की वृद्धि हुई है और 79.3 अब स्कूलों या आंगनबाड़ियों में जाते हैं। ये पिछले वर्षों की तुलना में अधिक है।