नई दिल्ली। सरकार नया आयकर विधेयक जल्द ही संसद में पेश करने जा रही है। आम आदमी और करदाता के लिहाज से देखा जाए तो नया कानून छोटा और बेहद सरल होगा। इससे रिटर्न भरना और नोटिस का जवाब देना आसान हो जाएगा। इसमें जटिल प्रावधान हट जाएंगे, जिससे कर विवाद के 40 फीसदी मामलों में कमी आएगी।
अधिकारी मानते हैं कि नए कानून से मुकदमेबाजी में गिरावट आएगी। मौजूदा समय में आयकर से जुड़े सवा सात लाख से अधिक मामले लंबित हैं। इसके अतिरिक्त उच्च और सर्वोच्च न्यायालय स्तर पर भी बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं। इसमें से करीब 40 फीसदी मामले ऐसे हैं, जो पुराने कानून के प्रावधानों के कारण बने हैं, जिन्हें करदाता के लिखित जवाब या जुर्माने के आधार पर खत्म किया जा सकता है।
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सूत्रों का कहना है कि नए कानून में आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को एकल पेपर के आधार पर आसान बनाया जाएगा। नियमों में इस तरह का बदलाव किया जाएगा, जिन्हें करदाता को समझने और एकल पेपर में जवाब देने और उससे जुड़ा कागज अपलोड करने में मदद मिलेगी। खासकर तौर पर पुरानी आयकर व्यवस्था में धारा-80 के तहत दी जाने वाली छूट से जुड़े कागजात को एकल पेपर में देने में आसानी होगी।
नए अधिनियम में होने वाले अन्य बदलाव
● आयकर अधिनियम से जुड़े 23 अध्याय और 298 धाराओं की भाषा को सरल बनाया जा रहा है।
● उन सभी अनावश्यक व गैर जरूरी प्रावधानों को खत्म किया जाएगा, जिनकी वजह से करदाता और आयकर विभाग के अधिकारी को समझने में परेशानी होती है।
● आयकर अधिनियम की भाषा को इतना सरल किया जाएगा कि उसे अपनी देनदारी को समझने के लिए सीए या किसी वकील के पास नहीं भागना पड़ेगा।
● करदाता रिटर्न दाखिल करते वक्त आसानी से अपने आयकर की गणना कर सकेगा।
● मौजूदा कानून के प्रावधानों से करीब आधे प्रावधान नए आयकर कानून में होंगे, जिन्हें आम व्यक्ति को समझने और अनुपालन करने में आसानी होगी।
एकल पेपर व्यवस्था होगी
अभी तक के प्रावधानों में आयकरदाता से रिटर्न या किसी मामले में स्पष्टीकरण मांगा जाता है तो उसे पूरा रिकॉर्ड देना होता है। जबकि मामला एक बिंदु का होता है, जिसे एक पेपर के जरिए समझाया जा सकता है, लेकिन पूरा रिकॉर्ड मुहैया कराने पर दोनों पक्षों को समझने में दिक्कत होती है। इसलिए एकल पेपर की व्यवस्था को नए कानून के जरिए बढ़ाया जाएगा।
यहां होती है दिक्कत
कुछ प्रावधानों को सरकार ने अलग आदेश से हटाया है लेकिन कानून में ये बने हुए हैं। इस कारण से कई बार आयकर रिटर्न में गड़बडी दिखने पर विभाग खत्म हुए प्रावधानों के तहत भी नोटिस जारी कर देता। ऐसे में अपीलीय मामलों की संख्या बढ़ जाती है। सरकार ने संपत्ति, उपहार और बैंकिंग नकद लेनदेन पर कर समेत कई शुल्कों को समाप्त कर दिया है लेकिन इनके प्रावधान बने हुए हैं।