प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जो रिश्तेदार साझा घर में नहीं रह रहे हैं उन पर घरेलू हिंसा कानून के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
कोर्ट ने मामले में पति के पारिवारिक सदस्यों पर मुकदमे की कार्यवाही रद्द कर दी, मगर पति-सास के खिलाफ केस बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि घर साझा करने के ठोस सबूत बिना दूर के रिश्तेदारों को फंसाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने सोनभद्र की कृष्णादेवी और छह अन्य की अर्जी पर दिया। वैवाहिक कलह के चलते पीड़ित पक्ष ने पति और उसकी मां, विवाहित बहनों के खिलाफ घरेलू हिंसा की धाराओं में केस दर्ज कराया था। सास,पांच अन्य रिश्तेदारों समेत याचियों ने लंबित कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी।