अपार आईडी के चक्कर में प्रिसिंपल से लेकर बाबू तक सब परेशान, अपार आईडी बनाने का कार्य दे रहा शिक्षकों को कष्ट अपार
लखनऊ (यूएनएस)। सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों की अपार आईडी का पूरा डाटा यू-डायस पोर्टल पर भरे जाने की अन्तिम तिथि 31 जनवरी बीत जाने पर भी काम अभी भी अधूरा ही है। कई तकनीकी कमियों के चलते, यू-डायस पोर्टल की धीमी स्पीड के चलते शिक्षा विभाग को सूचनाये उपलब्ध कराना शिक्षकों व प्रधानाचार्यों सहित बाबुओं के लिये अपार आईडी एक टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इस संबंध में शिक्षकों व शिक्षक संगठनों ने उच्चाधिकारियों से समय सीमा बढ़ाये जाने की मांग भी की है। आधार कार्ड में जन्मतिथि, नाम आदि और पोर्टल पर डाटा के मैच न करने से पोर्टल पर ऑनलाइन सूचनायें अपलोड.
नहीं हो पा रही है और कार्य जस का तस पड़ा हुआ है। एक विद्यालय के शिक्षक के अनुसार एक हजार बच्चों में मात्र तीन सौ बच्चों की ही सूचनाये ढंग से अपलोड हो पाई है, बाकी आधार कार्ड में सूचनाओं की विसंगतियों के कारण नहीं हो पा रही है। उधर जिला विद्यालय निरीक्षक व बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्य न होने पर विद्यालय व प्रिसपल के खिलाफ कार्यवाही करने की धमकी दे रहे है। आधार कार्ड में हुयी विसंगतियों के प्रति अभिभावक भी जिम्मेदार है। विद्यालय में प्रवेश के समय अंकित करायी गयी सूचनाओं में अपनी मर्जी से जन्म-तिथि, नाम में परिवर्तन करा कर आधार कार्ड बनवा लेते है। बाद में यही आधारकार्ड अपार आइडी के लिये दे
है। जिससे डाटा मैच न हो पाने के कारण अपार आईडी बन नहीं पा रही है। आधार में त्रुटि सुधार में अभिभावक कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे है। जिसके कारण अपार आईडी का कार्य अटका पड़ा है।
वही शिक्षक संगठनों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार के तहत अपार आईडी अनिवार्य नहीं है।
विभागीय अधिकारी मात्र परेशान करने के लिये आदेश जारी कर देते है। छात्र से संबंधित जानकारी पेन (परमानेंट एजुकेशन नंबर) से ही मिल जाती है। वहां अपार आईडी का क्या मतलब है? एक शिक्षक के अनुसार पेन तो बच्चों का विद्यालय से ही प्राप्त हो जाता है जबकि अपार के लिये बच्चों को डिजिटल लॉकर पर आईडी बनानी होगी जो अव्यवहारिक है। महानिदेशक बेसिक शिक्षा ने अपार आईडी का कार्य समय पर न पूरा होने पर सरकारी शिक्षकों के वेतन कटौती की बात कही थी।