लखनऊ। प्रदेश सरकार रेंट एग्रीमेंट की भी रजिस्ट्री शुरू कराने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिसे कैबिनेट को भेजा जाएगा। दरअसल, अभी रेंट एग्रीमेंट में स्टांप शुल्क ज्यादा होने के कारण बहुत कम लोग ही कराते हैं। ज्यादातर लोग 100 रुपये के स्टांप पर ही किराया समझौता कर लेते हैं, जिसका कोई कानूनी दावा नहीं होता है।
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स्टांप व पंजीयन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में एक साल में महज 86000 रेंट एग्रीमेंट हुए हैं, जबकि घर से लेकर दुकान व आफिस किराये पर देने वालों की संख्या लाखों में होगी। स्टांप शुल्क
एक वर्ष तक के रेंट एग्रीमेंट वालों के लिए बनेगा पोर्टल
मिली मंजूरी तो आसान होगी रेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री
के नियम सरल और कम करने के प्रस्ताव के साथ ही एक वर्ष तक के एग्रीमेंट वालों के लिए अलग से पोर्टल बनेगा।
पोर्टल पर एक तय फार्मेट होगा, जिसे डाउनलोड कर प्रिंट निकाला जा सकेगा। इस फार्मेट को स्टांप पर चिपकाने से इसे कानूनी रूप मिल जाएगा। रेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री न कराने पर मुकदमा भी नहीं लड़ पाएंगे। अपने अधिकार सिद्ध नहीं कर पाएंगे। एग्रीमेंट पर लिखी गई शर्तें ही मान्य होंगी। उन्हीं के आधार पर दावा किया जा सकेगा।
मौजूदा रेंट एग्रीमेंट एक्ट में प्रावधान
एक साल के रेंट एग्रीमेंट पर किराये का 2 फीसदी स्टांप शुल्क
पांच साल के एग्रीमेंट पर 3 वर्ष के किराये का 2 फीसदी शुल्क
10 साल के एग्रीमेंट पर 4 वर्ष के किराये का 2 फीसदी शुल्क
20 साल के एग्रीमेंट पर 5 वर्ष के किराये का 2 फीसदी शुल्क
30 साल के एग्रीमेंट पर 6 वर्ष के किराये का 2 फीसदी शुल्क
30 साल से ऊपर एग्रीमेंट पर बैनामे की तरह 7 फीसदी स्टांप शुल्क
कैबिनेट की मंजूरी के बाद रेंट एग्रीमेंट नियम
| एक साल तक के एग्रीमेंट पर किराये का 2 फीसदी स्टांप शुल्क
दो लाख रुपये तक के किराये पर केवल 500 रुपये स्टांप शुल्क
पांच लाख रुपये तक के किराये पर 5000 रुपये स्टांप शुल्क
एक करोड़ या ज्यादा के किराये पर 20000 रुपये स्टांप शुल्क