सूबे में रोजगार सेवकों की ही तरह रसोइया का भी हाल बेहाल है। परिषदीय विद्यालय के बच्चों को खाना बनाकर खिलाने वाली रसोइया खुद आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मिलने वाला मानदेय इन्हें पांच महीने से नहीं मिला है। प्रधानाध्यापक से लेकर बीआरसी तक में शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन किसी भी स्तर से इनको मानदेय देने की पहल नहीं हो रही है। इससे रसोइयों में नाराजगी है। जिले में आठ बीआरसी हैं। आठों बीआरसी के क्षेत्र में आने वाले परिषदीय विद्यालयों में कुल 3310 रसोइया तैनात हैं।
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एक रसोइया को दो हजार रुपया प्रतिमाह मानदेय मिलता है। मानदेय की बदौलत वह घरेलू खर्च चला लेती हैं, लेकिन यही मानदेय उनको नहीं मिल रहा है। आरोप है पांच माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। जुलाई से लेकर अब तक केवल दो माह का मानदेय इनके हाथ लगा है। इसके बाद से इन्हें फूटी कौड़ी नसीब नहीं हुई। बच्चों को समय से दोपहर का भोजन खिलाने का इन पर खासा दबाव रहता है। प्रधानाध्यापक इन्हें टोकते ही रहते हैं। मानदेय न मिलने से अब इन रसोइयों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया है। बच्चों के भरण-पोषण में दिक्कत हो रही है। रसोइयों को तीन करोड़ 31 लाख रुपये का भुगतान होना है, लेकिन अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। इससे रसोइयों में आक्रोश बढ़ने लगा है। रसोइयों का कहना है इन परिस्थितियों में वह कब तक मेहनत करके भोजन बनाएंगी और दूसरों को खिलाएंगी।
11 माह तक नियमित दिया जाए भुगतान
रसोइयों का कहना है कि उनसे 11 माह तक काम लिया जाता है। उन्हें हर महीने लगातार 11 माह का भुगतान किया जाए, साथ ही उनका मानदेय बढ़ाया जाए। बताया कि दो हजार रुपये से घर का बड़ी मुश्किल से खर्च चल पाता है। इसके अलावा उन्हें अन्य सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। उनका स्वास्थय बीमा भी कराया जाए। इसके लिए वह लगातार मांग कर रही हैं, लेकिन शासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
लकड़ी नहीं, उन्हें गैस चूल्हा दिया जाए
कई परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं, जहां गैस चूल्हा नहीं है। परिषदीय विद्यालयों में लगातार चोरी हो रही है। चोर जब स्कूलों को निशाना बनाते हैं तो वह बर्तन के साथ सिलेंडर व गैस चूल्हा भी ले जाते हैं। कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां गैस चूल्हा नहीं है। वहां लकड़ी के चूल्हे पर रसोइया खाना बनाती हैं। धुएं में उनकी आंख लाल हो जाती हैं। आंख से आंसू बहता रहता है, लेकिन मानदेय के लिए उन्हें सबकुछ सहना पड़ रहा है। रसोइयों का कहना है कि उन्हें गैस चूल्हा दिया जाए।
छात्र संख्या के हिसाब से हो नियुक्ति
रसोइयों की नियुक्ति छात्र संख्या के हिसाब से होती है। 50 छात्र पर एक रसोइया की नियुक्ति होनी चाहिए। रसोइयों का कहना है कि मानक के हिसाब से छात्र संख्या ज्यादा होती है, लेकिन काम उन्हीं से लिया जाता है। उनका कहना है कि छात्र संख्या के हिसाब से रसोइयों की नियुक्ति की जाए, इससे उनका बोझ हल्का हो जाएगा।
इनका कहना है
पांच माह से मानदेय नहीं मिला है। लगातार इसकी मांग की जा रही है, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार ही नहीं। अब घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। अधिकारियों को चाहिए कि उन्हें समय से मानदेय का भुगतान कराया जाए।
फूलमती देवी
प्रतिमाह मानदेय मिलना चाहिए। मानदेय का उन्हें इंतजार रहता है। घर के तमाम खर्चे इसी से वह चलाती हैं। मानदेय न मिलने से अब उन्हें ढेरों दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी हैं कि कुछ सुनने को नहीं तैयार हैं।
रेनू देवी
खाना बनाने में देरी होती है तो प्रधानाध्यापक की डांट सुननी पड़ती है। शिक्षक भी दबाव बनाकर रखते हैं। अधिकारी जांच में आते हैं तो स्वाद को लेकर डांटते-फटकारते हैं, लेकिन मानदेय देने के लिए किसी भी जिम्मेदार को सुध नहीं है।
कलुई देवी
रसोइया की नौकरी इसलिए की थी कि घर के अन्य कार्य के साथ यह कार्य भी आसानी से हो जाएगा। इससे घरेलू खर्च का बोझ हल्का रहेगा। नौकरी के चक्कर में घर का भी काम प्रभावित हो रहा है और मानदेय भी नहीं मिल रहा है।
रेखा देवी
शादी-ब्याह का सीजन चल रहा है। रिश्तेदारों के यहां से न्योता आ रहा है। बेटियों की शादी में व्यवहार देना पड़ता है। मानदेय न मिलने से परेशानी आ रही है। कर्ज मांगने की स्थिति बन गई है, लेकिन मानदेय नहीं मिल रहा है।
सूरजकली
रसोइयों के साथ यह सुलूक हर बार होता है। कभी भी नियमित मानदेय नहीं दिया जाता है। इसी तरह मानदेय को अधर में लटका कर रखा जाता है। प्रतिमाह मानदेय मिलना चाहिए। इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी हो।
जुबैदा
रसोइयों को प्रति माह मानदेय दिया जाए, साथ ही उनका स्वास्थ्य बीमा भी करवाया जाए। जरूरी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। रसोईयों की परेशानी को अधिकारी समझें।
कुसुम देवी
रसोइयों को प्रति माह मानदेय मिलना चाहिए। साथ ही मानदेय दस हजार रुपया किया जाए। दो हजार रुपये से घर का खर्चा नहीं चल पा रहा है। अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।
ननकी देवी
बोले जिम्मेदार
रसोइयों का अक्तूबर महीने तक का मानदेय गुरुवार को ही उनके खाते में भेजा जा चुका है। इसी सप्ताह जनवरी तक का मानदेय भेजवा दिया जाएगा। बजट की वजह से मानदेय भेजने में देरी हुई थी।
– कमलेंदु कुशवाहा, बीएसए
सिराथू ब्लाक क्षेत्र की रसोइयों को मानदेय दिलाने के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा। यदि इसके बाद भी मानदेय नहीं मिला तो मिनी सदन में इस मसले को प्रमुखता से उठाया जाएगा। – सीमा देवी, जिला पंचायत सदस्य