लखनऊ। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में चल रहे नर्सिंग कॉलेजों को 121 अध्यापक मिल गए हैं। इनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर दो साल के लिए की गई है। नियमित नियुक्ति नहीं होने पर इनका कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा।
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प्रदेश में 23 राजकीय व स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों में वर्ष 2022-23 से नर्सिंग की पढ़ाई हो रही है। सत्र शुरू होते वक्त शिक्षकों की नियुक्ति की गई। इस बीच वर्ष 2023-24 और 2024-25 का बैच भी आ गया। नतीजतन विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 180 हो गई, लेकिन अध्यापकों की संख्या कहीं आठ तो कहीं 10 ही रही।
20 सितंबर 2024 को अमर उजाला ने नर्सिंग कॉलेजों में अध्यापकों की कमी का मुद्दा उठाया। तब भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार हुए। मेरिट के आधार पर राज्यपाल नै अध्यापकों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। विभिन्न कॉलेजों के लिए
15 एसोसिएट प्रोफेसर, 24 असिस्टेंट प्रोफेसर और 82 ट्यूटर सहित कुल 121 शिक्षकों को अलग अलग कॉलेजों में नियुक्ति दी गई है। यह नियुक्ति संविदा के आधार पर दो वर्ष अथवा नियमित नियुक्ति होने तक के लिए की गई है। सेवा संतोषजनक रहने और कॉलेज को जरूरत पड़ने होने पर
क्या है मानक शासनादेश के तहत कॉलेज में 40
से 60 छात्रों के दाखिले पर प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य व प्रोफेसर के एक-एक पद, एसोसिएट के दो, असिस्टेंट के तीन, ट्यूटर के 8 से 16 पद होने चाहिए। अब अब छात्रों की संख्या 180 हो गई है। ऐसे में हर कॉलेज को करीब 50 अध्यापकों की जरूरत है लेकिन अभी 30 से 50 फीसदी ही जरूरत पूरी हो पाई है। संविदा के आधार पर हुई नियुक्ति में एसोसिएट प्रोफेसर को 80 हजार रुपये, असिस्टेंट को 70 हजार और ट्यूटर को 45 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा।
कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया जा सकेगा।