*नए इनकमटैक्स बिल (ड्राफ्ट) की खास बातें*
* *Assessment Year की जगह “टैक्स ईयर”*
इस ड्राफ्ट में Assessment Year शब्द को खत्म कर दिया गया है.इसका मतलब पूरे वित्तीय वर्ष (April to March) को “टैक्स ईयर” के रूप में जाना जाएंगा. Assessment Year का इस्तेमाल अब नहीं होगा.
*न्यू टैक्स रिजीम*
2025 बजट के मुताबिक, न्यू टैक्स रिजीम में कुछ बदलाव किए गए थे, जिनके तहत 12 लाख रुपये तक की आय को अब टैक्स से बाहर रखा गया है।
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* *स्टैंडर्ड डिडक्शन*
टैक्स स्लैब के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ा दी गई है. पुराने टैक्स रिजीम में यह 50,000 रुपये थी, अब न्यू टैक्स रिजीम में यह 75,000 रुपये कर दी गई है. इस ड्राफ्ट में दिख रहा है कि पुराने टैक्स रिजीम में जो छूटें और लाभ थे, वे वैसे ही रहेंगे.
* *कैपिटल गेन टैक्स दर*
शेयर बाजार में निवेश करने वाले के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सेक्शन 101 (b) के तहत यदि निवेशक 12 महीने के अंदर परिसंपत्तियों को बेचता है, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इस पर 20% टैक्स दर है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और अन्य कैपिटल गेन टैक्स में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है.
* *पेंशन और निवेश पर लाभ*
एनपीएस (NPS) और EPF पर टैक्स छूट को बढ़ाया गया है. इसके साथ ही रिटायरमेंट फंड और म्यूचुअल फंड में निवेश पर कर लाभ. वहीं बीमा योजनाओं पर अधिक कर लाभ होगा.
* *टैक्स चोरी पर कड़े प्रावधान और जुर्माना*
गलत जानकारी देकर टैक्स बचाने वालों के लिए कड़े दंडात्मक प्रावधान जोड़े गए हैं.
* *गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना*
जानबूझकर टैक्स चोरी करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सकता है. टैक्स का भुगतान न करने पर अधिक ब्याज और पेनल्टी.आय छिपाने पर अकाउंट सीज़ और संपत्ति जब्त करने के अधिकार है.
* *इन सब को मिलेगी छूट*
इसमें राजनीतिक दलों और इलेक्टोरल ट्रस्ट की आय को टैक्स में छूट दी गई है. न्यू टैक्स में कृषि आय को कुछ शर्तों के तहत कर-मुक्त रखा गया है. धार्मिक ट्रस्ट, संस्थाएं और दान में दी गई राशि पर कर छूट मिलेगी.
* *डिजिटल ट्रांजैक्शन और क्रिप्टो पर कड़े नियम*
नए इनकम टैक्स बिल में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (जैसे क्रिप्टोकरेंसी) पर भी सख्त प्रावधान किए गए हैं. अब क्रिप्टो एसेट्स को अनडिस्क्लोज्ड इनकम के तहत गिना जाएगा
* *टैक्सपेयर्स चार्टर होगा शामिल*
बिल में टैक्सपेयर्स चार्टर को भी शामिल किया गया है, जो टैक्स भरने वालों के अधिकारों की रक्षा करेगा और टैक्स प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाएगा. यह चार्टर, करदाताओं और कर अधिकारियों दोनों की जिम्मेदारियों और अधिकारों को स्पष्ट करेगा, जिससे टैक्स से जुड़े मामलों को हल करना आसान होगा।