आजमगढ़। यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण में गड़बड़ी में डीआईओएस उपेंद्र कुमार भी दोषी पाए गए। संयुक्त शिक्षा निदेशक आजमगढ़ की जांच में कई आरोप सही पाए गए। – इसके बाद उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट परीक्षा सचिव को भेजी दी है। इस मामले में पूर्व में परीक्षा प्रभारी व एक बाबू को निलंबित किया जा चुका है।
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इस बार यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण में बड़ा खेल किया गया है। शिक्षक संगठनों की शिकायतों को दरकिनार कर जिले में 282 परीक्षा केंद्र बनाए गए। आरोप है कि परीक्षा प्रभारी उमाकांत यादव ने केंद्र बनाने के लिए ढाई-ढाई लाख रुपये वसूले। इसकी शिकायत नेता विरोधी दल लाल बिहारी यादव, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक रामजन्म सिंह व श्री दुर्गाजी इंटर कॉलेज ने सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज से की थी। सचिव ने जांच के आदेश दिए।
संयुक्त शिक्षा निदेशक दिनेश सिंह ने मामले की जांच की तो कई आरोपों की पुष्टि हुई। जांच में सामने आया कि केंद्र निर्धारण को लेकर दो
पूर्व में परीक्षा प्रभारी और बाबू भी किए जा चुके हैं निलंबित
केंद्र निर्धारण में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। जांच में दोषी मिले परीक्षा प्रभारी व एक बाबू को निलंबित किया जा चुका है। वहीं, डीआईओएस भी दोषी पाए गए हैं। दो बैठकें इनके द्वारा दिखाई गई हैं। दोनों बैठकों में हस्ताक्षरों का मिलान किया गया तो डीएम के साथ ही अन्य सदस्यों का हस्ताक्षर भिन्न-भिन्न पाए गए। जांच आख्या परीक्षा सचिव को भेजी गई है। दिनेश सिंह, संयुक्त शिक्षा निदेशक आजमगढ़।
बैठकें हुई थीं, जिसमें डीएम ने एक बैठक ली थी। दूसरी बैठक हुई ही नहीं थी।
इसके बाद भी डीआईओएस ने बैठक होना दिखाया है। दोनों बैठकों में हुए हस्ताक्षरों का मिलान किया गया तो डीएम नवनीत सिंह चहल और अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर भिन्न पाए गए। संयुक्त शिक्षा निदेशक ने इस मामले में परीक्षा बाबू के साथ ही डीआईओएस को भी दोषी पाया। उन्होंने परीक्षा सचिव को अपनी जांच आख्या भेज दी है।