सैलरी ट्र क्रेडीटेड इन एकाउंट, जब यह मैसेज शिक्षक ग्रुपों में आता है तो शिक्षकों को लगता है कि उनको एक नई मुराद मिल गई, यह आपकी मेहनत की बदौलत कुछ भी नहीं यह केवल और केवल आपके कठिन मेहनत का फल है, सोचिए सुबह 4 बजे उठना 9 बजे तक स्कूल पहुँचना, दिनभर स्कूल के झंझावातों से जूझना और पुनः शाम को 3 बजे लौटते समय स्कूल की कार्ययोजना लेकर लौटना और पुन दूसरे दिन उसकी तैयारी में लग जाना आसान नहीं, और हर किसी के बस की बात नहीं यह केवल केवल शिक्षक ही कर सकता है उसकी मेहनत के मुकाबले ये सैलरी कुछ भी नहीं है। हृदय से देश के सभी शिक्षकों को शैलूट प्रणाम, यदि आपने इसी तरह से अपना अभियान जारी रखा देश शत प्रतिशत
साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त करके ही रहेगा 1999 में विशिष्ट बीटीसी में एक शिक्षक के रूप में चयनित न हो पाने के कारण में बेसिक शिक्षा अधिकारी बना बराबर जीवन में मिस करता रहा कि मैं एक शिक्षक क्यों नहीं बन पाया, लेकिन अब आपकी कठिन मेहनत को देखकर लगता है कि मैंने अच्छा किया शिक्षक नहीं बना मैं इतनी मेहनत रोज नहीं कर पाता। हालांकि मैं भी कोशिश करता हूं, अधिक से अधिक काम करूं लेकिन आपकी मेहनत के आगे मेरा काम कुछ भी नहीं। जिन परिस्थितियों में आप काम करते हैं वो बहुत कठिन है मेरे काम की परिस्थितियां बहुत आसान है।। जय हिंद जय शिक्षक। 5/2/25
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