मेंहदावल। बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत संचालित होने वाले विद्यालयों में अब लोहे की घंटी के बजाय पीतल या कांसे की घंटी की सुमधुर आवाज सुनाई देगी। इससे संबंधित निर्देश देते हुए बीईओ ज्ञानचंद्र मिश्र ने बताया कि पीतल या कांसे के घंटी लोहे की तुलना में अधिक शुद्ध ध्वनि देती है।
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उन्होंने बताया कि लोहे की घंटियां आम तौर पर भारी होती हैं। उनसे ध्वनि निकालना कठिन होता है।
घंटियों की आवाज से एक नई ऊर्जा का संचार होता है। हर एक घंटें के शुरुआत में एक अच्छी ध्वनि सुनाई देनी चाहिए। लोहे (स्टील से अलग) में एक जटिल क्रिस्टलीय संरचना होती है। जो ध्वनि को थोड़ा प्रभावित करती है। वास्तव में, सभी धातुओं में एक क्रिस्टलीय संरचना होती है। लेकिन कांस्य या पीतल की क्रिस्टलीय संरचना लोहे की संरचना से अलग प्रकार की होती है।
पीतल कहां पर और जस्ता की मिश्र धातु है। पीतल की क्रिस्टल संरचना मिश्र धातु में स्थित परमाणुओं पर निर्भर करती है। इसलिए ही पीतल या कांसा लोहे की तुलना में अधिक शुद्ध ध्वनि संचारित करता है। उन्होंने प्रधानाध्यापकों से पीतल या कांसे की घंटी की व्यवस्था करने की अपील की।