विकास खंड बिजौली के गांव सिरसा स्थित कंपोजिट विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक बिजेंद्र सिंह को 22 मार्च को वायरल हुए एक वीडियो के चलते निलंबित कर दिया गया। 23 मार्च को वार्षिक परीक्षा देने आए बच्चों को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने अभिभावकों के साथ इसका विरोध किया। वार्षिक परीक्षा देने से इनकार कर दिया। स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया।
बच्चे और अभिभावक प्रधानाचार्य का निलंबन वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। इसके चलते 12 बजे तक परीक्षा शुरू नहीं हो सकी। सूचना पर पहुंचे बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) अवधेश कुमार ने स्कूल का ताला खुलवाया। उनके द्वारा बुलाए जाने पर पहुंचे निलंबित प्रधानाचार्य बिजेंद्र सिंह ने दोपहर में परीक्षा कराई।

बीईओ ने पूरे प्रकरण की जांच शुरू की तो पता चला कि लगभग तीन दिन पूर्व सोशल मीडिया पर विद्यालय का एक वीडियो वायरल हुआ है, इसमें फल के स्थान पर गाजर और मटर का वितरण दिखाया जा रहा है। इसी वीडियो के कारण बीएसए ने प्रधानाचार्य को शनिवार की शाम को निलंबित करते हुए प्राथमिक विद्यालय मौहरेना चंडौस से सम्बद्ध कर दिया था। बीईओ ने प्रधानाचार्य के साथ अन्य शिक्षकों से प्रकरण की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जांच कर बीएसए को पूरी रिपोर्ट दी जाएगी।
बीईओ की जांच आख्या पर जांच कमेटी बना दी गई है। टीम सभी बिंदुओं पर जांच करेगी, जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कारवाई होगी। -डॉ. राकेश कुमार सिंह, बीएसए।
27 जनवरी का है वीडियो
वायरल वीडियो 27 जनवरी 2025 सोमवार का है। प्रधानाचार्य ने बताया कि उस दिन फल के साथ सब्जी बनाने के लिए गाजर और मटर भी लाए गए थे। फल वितरण सुबह हुआ था। इसके बाद रसोइये की रिश्तेदारी में किसी की मृत्यु हो गई, जिससे खाना विलंब से बना। इसी दौरान कुछ बच्चों के अनुरोध पर उन्हें गाजर और मटर दी गई थी। इसके बाद खाना भी दिया गया था। किसी अध्यापक ने गाजर मटर देने का वीडियो वायरल कर दिया। इसी पर निलंबन किया गया है।
बच्चों ने की शिकायत
बच्चों ने बीईओ अवधेश कुमार को दी लिखित शिकायत में कहा है कि स्कूल में तैनात शिक्षक रोजाना विलंब से आते हैं। एक शिक्षक स्कूल में आने वाले गेहूं को अवैध तरीके से बिकवाते हैं। पढ़ाई के नाम पर भेदभाव करते हैं। अगर प्रधानाचार्य का निलंबन वापस नहीं हुआ तो वे 25 मार्च को परीक्षा नहीं देंगे।
ये बोले बच्चे व अभिभावक
कक्षा आठ की छात्रा हेमवती ने बताया कि 27 जनवरी को प्रधानाचार्य बिजेंद्र सिंह ने बच्चों के कहने पर ही गाजर और मटर दी थी। इससे पहले फल दिए जा चुके थे।
छात्रा भावना ने बताया कि प्रधानाचार्य बिना भेदभाव के ही बच्चों को पढ़ाते हैं। कुछ अध्यापक स्कूल में बस मोबाइल ही देखने आते हैं और थोड़ी देर रुक कर वापस चले जाते हैं।
छात्रा रेखा ने कहा सभी बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। प्रधानाचार्य गंभीरता से उनकी शिकायतें सुनते हैं।
अभिभावक कांति प्रसाद ने कहा कि प्रधानाचार्य ने गांव व आस-पास के बच्चों को घर से बुला कर दाखिला कराया था।