परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे करीब 91 हजार शिक्षकों को चयन वेतनमान व प्रोन्नत वेतनमान की सुविधा नहीं मिल पा रही। जनवरी से मानव संपदा पोर्टल पर वेतनमान से संबंधित मॉड्यूल को उपलब्ध कराया गया है।
ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद शिक्षक इसके लिए चक्कर काट रहे हैं। खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) शिक्षकों के वेतनमान से संबंधित प्रकरणों को लटकाए हुए हैं। ऐसे में अब स्कूली शिक्षा महानिदेशालय की ओर से लंबित प्रकरणों का ब्योरा मांगा गया है।
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इन शिक्षकों को दिया जाता है वेतनमान
परिषदीय विद्यालयों में 10 वर्ष की सेवा पूरी करने पर शिक्षकों को चयन वेतनमान दिया जाता है। दिसंबर 2024 तक 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले 53 हजार शिक्षकों को चयन वेतनमान दिया जाना है। वहीं, 20 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले करीब 38 हजार शिक्षक ऐसे हैं, जो प्रोन्नत वेतनमान के लिए शिक्षा विभाग के कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
शिक्षकों का शोषण रोकने के लिए हुई थी ऑनलाइन व्यवस्था
ऑफलाइन व्यवस्था इसीलिए बंद की गई थी कि शिक्षकों का बेवजह शोषण न हो। ऑनलाइन व पारदर्शी व्यवस्था किए जाने के बावजूद प्रदेश स्तर पर चयन व प्रोन्नत वेतनमान की सूची फाइनल नहीं हो पाई है।
नियमानुसार सभी बीईओ को अपने-अपने ब्लॉक के पात्र शिक्षकों की सूची मानव संपदा पोर्टल के चयन व प्रोन्नत वेतनमान के मॉड्यूल में ऑनलाइन अपलोड करनी है। फिर ऑनलाइन माध्यम से ही बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) इसे आगे लेखा विभाग को बढ़ाएंगे।
जनवरी में होने वाला काम मार्च भी नहीं हुआ शुरू
जो कार्य जनवरी में हो जाना चाहिए था, वह मार्च शुरू होने के बावजूद लटका हुआ है। उप्र बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि आनलाइन व्यवस्था के बावजूद शिक्षकों को बेवजह दौड़ाया व परेशान किया जा रहा है।
उधर महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से सभी बीएसए को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने-अपने जिलों के पात्र शिक्षकों की सूची को अंतिम रूप दें। ऐसे बीईओ जो काम में लापरवाही कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।