उत्तर प्रदेश विधानसभा में बेरोजगारी के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी सदस्यों ने वाकआउट किया। सपा का कहना था कि सरकार रोजगार नहीं दे पा रही है और संविदा भर्ती में भी आरक्षण का पालन नहीं हो रहा है।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि मैनपावर में आरक्षण लागू है और भाजपा सरकार इसकी हमेशा पक्षधर रही है। लेकिन विशिष्ट काम के चयन में आरक्षण लागू नहीं हो सकता है। श्रम मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि योगी सरकार में साढ़े सात लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी गई। राज्य में बेरोजगारी दर घटकर तीन प्रतिशत पहुंच गई और यह राष्ट्रीय औसत से कम है।
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शुक्रवार को सदन में नियम 56 में सपा सदस्यों के आरोपों का जवाब देते हुए श्रममंत्री अनिल राजभर ने कहा कि जिस आउटसोर्सिंग शासनादेश की चर्चा हो रही है, वह सपा सरकार ने ही जारी किया था। संविदा कर्मी विशेष परिस्थिति में ही रखे जाते हैं। 8 साल में 88 हजार संविदाकर्मी रखे गए। उन्होंने कहा कि विदेशों में जाकर नौकरी करने वालों के बारे में तथ्यहीन बातें कर उनका मनोबल तोड़ने की बात की जा रही है। किसी को अपनी योग्यता, क्षमता व तकनीकी कौशल से विदेश में रोजगार मिल रहा है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हजारों की संख्या में ऐेसे कामगार दूसरे देशों में काम कर रहे हैं।
बेरोजगारी दर घटने के आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 23-24 में यूपी में बेरोजगारी दर 3 प्रतिशत जबकि देश में औसत दर 3.2 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जरिए 661 आशुलिपिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। पुलिस विभाग में 930 कम्प्यूटर आपरेटर भर्ती होने जा रहे हैं। 56 प्रोग्रामर के अलावा 521 पुलिस उपनिरीक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि निवेश परियोजनाओं के जरिए लोगों को एक करोड़ लोगों को रोजगार मिला।
इससे पहले सपा के कमाल अख्तर, सचिन यादव ने बेरोजगारी का मामला उठाते हुए कहा कि यूपी में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है।
नियमित भर्ती नहीं हो रही है आउटसोर्सिंग के जरिए काम चलाया जा रहा है। 8 साल में एक भी सफाई कर्मी की भर्ती नहीं हुई। हर परीक्षा का पेपर लीक हो जाता है। तमाम विभागों में हजारों पद रिक्त पड़े हैं। इन्हें अगर भर दिया जाए तो 12.50 लाख लोगों को सरकारी नौकरी मिल जाएगी। बेरोजगारी से क्षुब्ध शिक्षित युवा आत्महत्या कर रहे हैं।