मेरठ, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने ग्रेटर नोएडा में एकूरेट बिजनेस स्कूल और एकूरेट कॉलेज ऑफ लॉ में बीसीए, बीबीए, एलएलबी एवं बीकॉम ऑनर्स कोर्स में 11 ऐसे शिक्षकों को पकड़ा है जो नोएडा एवं गाजियाबाद के दूसरे कॉलेज में भी पढ़ा रहे हैं। एक ही समय पर एक ही विश्वविद्यालय के दो कॉलेजों में शिक्षकों की नौकरी से सिस्टम घेरे में है। विश्वविद्यालय ने कॉलेज को नोटिस भेजते हुए जवाब मांगा है। विश्वविद्यालय ने स्थिति स्पष्ट नहीं करने और इन शिक्षकों को नहीं हटाने पर कॉलेज एवं शिक्षक दोनों के खिलाफ एफआईआर की बात कही है। विश्वविद्यालय जल्द अन्य कॉलेजों में शिक्षकों के ऐसे ही खेल का रिकॉर्ड जारी करने जा रहा है।

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शिकायत पर विवि ने जांच कराई और शिक्षकों के दो या इससे अधिक कॉलेजों में नियुक्ति को पकड़ा है। कॉलेज एवं शिक्षक दोनों को ही नोटिस भेजे गए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में गंभीर है और एफआईआर दर्ज कराने का विकल्प तलाश रहा है। धीरेंद्र वर्मा, रजिस्ट्रार, सीसीएसयू
विश्वविद्यालय नोटिस के अनुसार बीकॉम ऑनर्स में डॉ. श्याम कुमार जीएनआईओटी इंस्टीट्यूट, एलएलबी में प्रमोद कुमार, अनुज गोयल कॉलेज ऑफ लॉ गाजियाबाद, बीबीए में अभिषेक गुप्ता, भूमिका तेहरान, विवेक सिंह, समीर रस्तौगी, विवेक कुमार सिंह, गोविंदा त्रिपाठी रमेश चंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट गाजियाबाद और बीसीए में अतुल कुमार, आशीष बैसवार, आकाश रघुवंशी रमेश चंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट गाजियाबद में अनुमोदित शिक्षक हैं, जबकि एकूरेट बिजनेस स्कूल एवं एकूरेट कॉलेज
ऑफ लॉ ने इन्हें अपने यहां कार्यरत दिखाया है। विवि के अनुसार शिक्षक एक समय में एक ही जगह कक्षा ले सकता है। दो कॉलेजों में यह संभव नहीं है। विवि के अनुसार कॉलेज गलत ढंग से अनुमोदन कराया है। विभिन्न जिलों के 50 से अधिक कॉलेजों की भी शिक्षकों के रिकॉर्ड में गड़बड़ी मिली है। शिक्षकों के फर्जी ढंग से कई कॉलेजों में नियुक्ति के पीछे एक गैंग के सक्रिय होने के आरोप लग रहे हैं। उक्त कॉलेज में भी कैंपस कर्मचारी एसोसिएशन के नेता की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।