तैयारी : कैशलैस इलाज के लिए एक घंटे में मंजूरी मिल जाएगी
नई दिल्ली। स्वास्थ्य बीमा दावों और कैशलेस मंजूरी में देरी से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों को जल्द इससे राहत मिल सकती है। केंद्र सरकार स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के लिए कैशलेस मंजूरी अनुरोध को एक घंटे के भीतर और अंतिम दावा निपटान को तीन घंटे के भीतर अनिवार्य करने की योजना बना रही है। यह जानकारी मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने दी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीमा क्षेत्र के लिए भारतीय मानक ब्यूरो जैसे मानकों को लागू करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि बीमा उद्योग के संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक सभी नागरिकों को सुलभ और किफायती स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाए। किफायती बीमा की घोषणा भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने नवंबर 2022 में की थी।
इसके अलावा, बीमा दावे और आवेदन पत्रों को सरल और समझने योग्य बनाने के लिए एक पेशेवर एजेंसी की मदद से मानकीकृत प्रारूप तैयार करने की भी योजना है। इससे बीमाकर्ता समय पर और पूरी राशि का भुगतान कर सकेंगे।
सभी अस्पतालों में एक जैसा फॉर्म होगा
विशेषज्ञों ने सुझाव दिए
बीमा विशेषज्ञों ने जमीनी चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाया है। इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईबीएआई) के महासचिव आर. बालासुब्रमण्यम ने कहा, नियम बनाना एक बात है, लेकिन उसे लागू करना अलग चुनौती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सर्जरी की दरें और डिस्चार्ज दस्तावेज अगर पूरे देश में एक जैसे हों, तो दावा प्रक्रिया और तेज हो सकती है और विवाद भी घटेंगे।
क्या है तैयारी
सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज के जरिए बीमा दावा निपटान प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और इरडा के साथ मिलकर नए निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। यह एक डिजिटल मंच है, जो स्वास्थ्य बीमा दावों की प्रक्रिया को मानकीकृत करता है। जुलाई 2024 तक, 34 बीमा कंपनियां और टीपीए इस मंच पर सक्रिय थे। 300 अस्पताल इसमें शामिल होने की प्रक्रिया में हैं।
कई मामलों में 100 फीसदी दावे खारिज किए
हालांकि, इरडा ने पहले ही 2024 में दावों के त्वरित निपटारे के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन दावों की बढ़ती संख्या के कारण बीमा कंपनियां इन नियमों का पालन करने में विफल रही हैं। अधिकारी ने कहा कि कई मामलों में बीमा कंपनियों ने 100% कैशलेस दावों को खारिज या अस्वीकार किया है। यदि नियमों को सख्ती से लागू किया जाए और निपटान प्रक्रिया को मानकीकृत किया जाए तो उपभोक्ताओं का भरोसा वापस आएगा।