मुजफ्फरनगर, । खुब्बापुर के चर्चित थप्पड़ प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अंतिम सुनवाई नहीं हो सकी। परिजनों को न्याय के लिए कुछ और वक्त इंतजार करना होगा।
इस बीच बच्चे की पढ़ाई में आ रही परेशानी को लेकर परिवार परेशान है। घर से दूरी के कारण अब चौथी कक्षा में पहुंच चुके पीड़ित बच्चे को रोज करीब पचास किलोमीटर का सफर करना पड़ रहा है। कॉपी-किताब की मुश्किलें अलग। अभिभावक स्कूल की पढ़ाई से तो संतुष्ट हैं लेकिन उन्हें मलाल है कि शिक्षा विभाग द्वारा पिछले दो साल से हर बार कॉपी किताब और ड्रेस मिलने में काफी देरी हो जाती है। इससे उनके बच्चे की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

यह था मामला : मंसूरपुर क्षेत्र के खुब्बापुर स्थित नेहा पब्लिक स्कूल में करीब दो साल पहले कक्षा एक के छात्र को शिक्षिका ने दूसरे छात्र से थप्पड़ लगवाए थे। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला पूरे देश में चर्चा में आ गया था। बाद में सोशल एक्टिविस्ट तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पीड़ित छात्र का दाखिला बीएसए के सहयोग से शहर के शारदेन स्कूल में कराया गया। छात्र ने कक्षा दो व तीन की पढ़ाई वहीं पूरी की। अब नए सत्र में उसका प्रवेश कक्षा चार में हुआ है। पीड़ित छात्र के पिता का कहना है कि उसके गांव खुब्बापुर से शारदेन स्कूल की दूरी करीब 25 किलोमीटर है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा विभाग को एनजीओ के माध्यम से फीस-कॉपी किताब के साथ परिवहन खर्च के रूप में प्रतिदिन 200 के हिसाब से पैसे दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
वह रोज बच्चे को बाइक से स्कूल छोड़ने और लेने जाते हैं। उनका कहना है कि बच्चे को 50 किलोमीटर की दूरी रोज तय करनी पड़ती है जबकि उन्हें दो बार में 100 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। यह उनके लिए बड़ा आर्थिक बोझ है लेकिन परिवहन शुल्क समय पर नहीं मिल पाता है।
परिजनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छात्र के विद्यालय आने-जाने का चार महीने की परिवहन शुल्क और फीस अब तक नहीं मिली है। किताबें देर से मिलने से बच्चे के परीक्षा में नंबर भी कम आए। वे उसके भविष्य को लेकर चिंतित हैं।