ज्ञानपुर। जिले में फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी करने वाले 11 बर्खास्त शिक्षकों से रिकवरी नहीं हो पाई है। दो से ढाई साल बाद भी लेखा विभाग इनके वेतन का हिसाब नहीं दे सका।
इससे बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से इनके खिलाफ रिकवरी की कार्रवाई नहीं हो पाई है। इन शिक्षकों ने 10 से 18 साल की नौकरी में 15 करोड़ के सरकारी राजस्व का चूना लगाया है।
जिले में 885 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय संचालित हैं। इसमें चार हजार से अधिक शिक्षक तैनात हैं। शासन स्तर से जरूरत के हिसाब से शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है।

एक दशक पूर्व नियुक्ति प्रक्रिया कागजों में ही चलती थी। पांच साल पूर्व से प्रेरणा
पोर्टल पर सबकुछ ऑनलाइन होने पर फर्जी अभिलेख के सहारे नौकरी करने वाले शिक्षकों की पोल खुलने लगी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से लेकर अन्य विश्वविद्यालयों की डिग्री संदिग्ध मिली। सत्यापन होने पर दूसरे के अभिलेख पर नौकरी करते हुए 22 शिक्षक मिले।
बेसिक शिक्षा विभाग ने सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर 2023 से लेकर मार्च 2025 तक 22 शिक्षकों को बर्खास्त किया। 2023 से लेकर 2024 तक बर्खास्त 11 शिक्षकों के वेतन की रिपोर्ट लेखा विभाग ने बेसिक शिक्षा विभाग को सौंप दिया, लेकिन 11 शिक्षकों के हिसाब अब तक नहीं मिल सका है।
इससे इनसे रिकवरी के लिए संबंधित जिला प्रशासन के पास रिपोर्ट नहीं भेजी जा सकी है। बर्खास्त शिक्षकों में अधिकतर प्रयागराज, जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, बलिया और वाराणसी के रहने वाले हैं।
जिन शिक्षकों के वेतन का हिसाब मिल गया है उनके जिले में रिकवरी के लिए भेजा गया है। शेष की रिपोर्ट अभी लंबित है। लेखा से हिसाब आने पर रिकवरी की कार्रवाई होगी। भूपेंद्र नारायण सिंह, बीएसए भदोही
2012 के बाद लेखा विभाग से वेतन दिया गया है। उन शिक्षकों का हिसाब विभाग को उपलब्ध कराया जा चुका है। 2012 से पूर्व शिक्षकों का वेतन बीईओ कार्यालय से दिया जाता था। खंड शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। उनके स्तर से देरी होने से रिपोर्ट नहीं भेजी जा सकी। -अमन श्रीवास्तव, लेखाधिकारी भदोही