बरेली के फतेहगंज पश्चिमी के माधौपुर प्राथमिक विद्यालय में फर्जी दस्तावेज से सहायक अध्यापक पद पर कई साल नौकरी करने वाली पाकिस्तानी महिला शुमायला खान का पुलिस तीन महीने बाद भी सुराग नहीं लगा सकी है। हालांकि शिक्षा विभाग ने उसे बर्खास्त कर रिकवरी के आदेश कर दिए हैं।
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- Primary ka master: कहां है पाकिस्तानी शुमायला… तीन माह बाद भी सुराग नहीं लगा सकी पुलिस; फर्जी दस्तावेज से पाई थी शिक्षिका की नौकरी
17 जनवरी को फतेहगंज पश्चिमी थाने में स्थानीय बीईओ भानु शंकर ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया कि पाकिस्तानी महिला शुमायला खान ने जिला रामपुर की सदर तहसील से बनाए गए कूटरचित दस्तावेज लगाकर फतेहगंज पश्चिमी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में सात अप्रैल 2015 को सहायक अध्यापक के रूप तैनाती ली थी।
किसी की शिकायत पर एलआईयू ने जांच की तो शुमायला खान के माता-पिता की नागरिकता पाकिस्तान के लाहौर की निकली। इसके चलते एसडीएम रामपुर सदर ने उसका मूल निवास निरस्त कर दिया। शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए दो साल पहले अध्यापिका को नौकरी से हटा दिया। जांच के दौरान जब वह भारतीय नागरिकता का कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाई तब विभाग ने उसे बर्खास्त कर दिया।
शिक्षिका की हो रही तलाश

एसपी उत्तरी मुकेश चंद्र मिश्र ने बताया कि इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार चतुर्वेदी के निर्देशन में विवेचक विश्वदेव सिंह विवेचना कर रहे हैं। रामपुर में शिक्षिका के निवास समेत अन्य संभावित स्थानों पर टीम कई बार दबिश दे चुकी है, अभी तक शुमायला का पता नहीं लगा है। तलाश जारी है.
मां की तरह बेटी की सेवाएं समाप्त
इसी तरह का मामला शुमायला खान की मां माहिरा अख्तर का भी है। माहिरा अख्तर की शादी लाहौर निवासी एसए खान से हुई थी। पाकिस्तान में ही शुमायला का जन्म हुआ। शादी के तीन साल माहिरा का पति से तलाक हो गया।
तब माहिरा अख्तर अपनी बेटी को लेकर भारत आईं और रामपुर की सदर तहसील के मकान नंबर 20 गली नंबर चार बजरोही टोला में रहने लगीं। यहां उसे नागरिकता नहीं मिली। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक शुमायला खान की मां माहिरा अख्तर की भी सेवाएं पाकिस्तानी नागरिकता छिपाकर नौकरी करने के आरोप में समाप्त कर दी गई थीं।