लखनऊ। प्रदेश में एक मई से एक नया बैंक अस्तित्व में आ जाएगा। इसका नाम होगा यूपी ग्रामीण बैंक, जो तीन ग्रामीण बैंकों के विलय से आकार लेगा। इनमें आयावर्त बैंक, प्रथमा बैंक और बड़ौदा यूपी बैंक हैं। अस्तित्व में आने के साथ ही यूपी ग्रामीण बैंक प्रदेश का सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा।
इसकी प्रदेश के 75 जिलों में 4317 शाखाएं होंगी। इसका मुख्यालय लखनऊ में होगा और इसका प्रायोजक बैंक ऑफ बड़ौदा होगा। केंद्र ने यूपी सहित 11 राज्यों में ग्रामीण बैंकों के राज्य स्तरीय विलय की अधिसूचना जारी कर दी है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने छह नवंबर 2024 के अंक में तीन बैंकों के विलय से नये ग्रामीण बैंक के उदय की खबर प्रकाशित की थी।
एक राज्य-एक ग्रामीण बैंक लागू करने के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित विलय राजपत्र अधिसूचना में 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 11 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। भारत सरकार ने पूरे देश में एक राज्य-एक आरआरबी मॉडल को लागू करने की व्यवस्था कर दी है।
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आम लोगों पर ये असर
● विलय के बाद यूपी ग्रामीण बैंक की लोन क्षमता में वृद्धि होगी।
● डिजिटल बैंकिंग सुविधा का लाभ ग्रामीणों को मिलेगी।
● फिलहाल मौजूदा चेकबुक चलेंगे जल्द नए बैंक की चेकबुक होगी
● सॉफ्टवेयर में बदलाव से अब बैंक ऑफ बड़ौदा का सॉफ्टवेयर प्रभावी और माइग्रेट होगा।
● भविष्य में खाता नंबर बदलेंगे।
● ग्राहकों की सुविधा के लिए नाबार्ड ने कमेटी भी बनाई है।
एक मई से अस्तित्व में आने वाला यूपी ग्रामीण बैंक 4317 शाखाओं के साथ सबसे बड़ा होगा। 2005 तक देश भर में 196 ग्रामीण बैंक कार्यरत थे। अब यूपी में तीन की जगह एक, देशभर में 28 ग्रामीण बैंक हो जाएंगे। यूनाइटेड फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक यूनियंस राष्ट्रीय संयोजक डीएन त्रिवेदी का कहना है कि देश में ग्रामीण बैंकों के विलय का प्रयोग वर्ष 2005 से चल रहा है और यह चौथा विलय हुआ है।
