नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में शिक्षकों और अन्य कर्मियों की भर्ती मामले में शीर्ष अदालत ने गुरुवार को राज्य में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मियों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पूरी चयन में सुधार की गुंजाइश नहीं छोड़ी गई।

- यूपी कैबिनेट के फैसले: एडेड विद्यालयों के शिक्षकों का मानदेय बढ़ा, मृतक आश्रितों की नियुक्ति पर लगी रोक हटी
- स्कूल समय परिवर्तन के समय में बीएसए कुशीनगर का आदेश भी हुआ जारी
- राज्य सरकार के सिविल/पारिवारिक पेंशनरों को महँगाई राहत (55%) की स्वीकृति
- उत्तर प्रदेश में 1 मिलियन नागरिकों हेतु एआई (AI) कौशल विकास कार्यक्रम के सम्बन्ध में।
- विद्यालयों में भीषण गर्मी एवं लू (हीट-वेव) से बच्चों को बचाये जाने सम्बन्धी दिशा-निर्देश।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बहाल रखते हुए अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने राज्य में पश्चिम बंगाल स्कूल चयन आयोग द्वारा 2016 में की गई करीब 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्तियों को अमान्य घोषित कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हम हाईकोर्ट के इस निष्कर्ष को सहमत हैं कि पूरी चयन प्रक्रिया में धोखाधड़ी की गई थी और इसमें सुधार की गुंजाइश नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी तथ्यों को देखने के बाद हमारे विचार में, यह एक ऐसा मामला है, जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया दूषित है। उन्होंने कहा कि
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि वह अदालत का बहुत सम्मान करती हैं, लेकिन स्कूली शिक्षकों की नियुक्तियों को अमान्य ठहराने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं कर सकतीं।