प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि यह स्थापित कानून है कि एक चयनित उम्मीदवार को नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है लेकिन यह भी उतना ही स्थापित है कि नियोक्ता मनमाने ढंग से कार्य नहीं कर सकता। कोर्ट ने चयन बोर्ड या निदेशक को (सचिव के पद से नीचे के नहीं, एक जिम्मेदार अधिकारी का) हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें पहले विज्ञापित पदों से उपलब्ध रिक्तियों में कमी को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया हो। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति पीके गिरि की खंडपीठ ने दिया है।

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एकल पीठ ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें विज्ञापित 5723 पदों पर नियुक्ति से संबंधित मुद्दे उठाए गए थे।
अपीलकर्ताओं का कहना था कि टीजीटी 2013 विज्ञापन के तहत 5723 पद विज्ञापित किए गए थे लेकिन चयन सूची केवल 4556 पदों के लिए तैयार की गई। शेष 1167 पदों के लिए कोई चयन सूची नहीं बनाई गई और अपीलकर्ताओं को नियुक्ति से वंचित कर दिया गया। अपीलकर्ताओं का तर्क है कि उन्हें बोर्ड द्वारा तैयार की गई चयन सूची में शामिल किया जाना चाहिए था लेकिन 1167 पदों के लिए सूची नहीं बनने के कारण उन्हें मनमाने ढंग से नियुक्ति से वंचित कर दिया गया। एकल पीठ ने यह देखते हुए याचिकाएं खारिज कर दीं कि विभिन्न कारणों से नियुक्ति के लिए उपलब्ध रिक्तियों की संख्या कम हो गई थी। अपीलकर्ताओं ने अपीलों में इसे चुनौती दी है।