नकल पर नकेल के िलए बनाई केंद्रों की भूलभुलैया
प्रयागराज । तीन अप्रैल से शुरू हो रही डीएलएड की द्वितीय और चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा में नकल रोकने के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने प्रशिक्षुओं को परीक्षा केंद्रों की भूलभुलैया में उलझा दिया है। पूर्व में किसी केंद्र पर एक या दो कॉलेज के प्रशिक्षुओं को आवंटित किया जाता था। इससे सामूहिक नकल की कोशिशें शुरू हो जाती थीं। इससे बचने के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने रोल नंबर का रैंडमाइजेशन कर दिया है। यानि किसी जिले में 20 केंद्र बने हैं और वहां 40 कॉलेज हैं तो एक केंद्र पर पहले एक से 40 प्रशिक्षु आवंटित होंगे फिर नए सिरे से एक से 40 प्रशिक्षु आवंटित होंगे। इससे एक केंद्र पर एक कॉलेज के कुछ छात्र ही आवंटित होंगे और सामूहिक नकल पर लगाम लग सकेगी।

सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी की ओर से 30 मार्च को सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) प्राचार्यों को इस संबंध में सूचना भेजी गई है। सचिव का कहना है कि पिछले साल आयोजित डीएलएड परीक्षाओं के दौरान कुछ परीक्षा केन्द्रों पर सामूहिक नकल की घटनाएं प्रकाश में आयी है। जिसके बाद उन केन्द्रों पर आयोजित परीक्षा को निरस्त करते हुए पुनः परीक्षाएं करानी पड़ी है, जिसके कारण विभाग की छवि धूमिल हुई। इसे गंभीरता से लेते हुए डीएलएड परीक्षाओं को नकलविहीन एवं शुचितापूर्वक कराने के लिए मामले को परीक्षा नियमाक प्राधिकारी समिति की 20 मार्च को हुई बैठक में रखा गया। समिति ने गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए यह निर्णय लिया है कि जनपदवार परीक्षार्थियों के अनुक्रमांक रैंडमाइजेशन करने के बाद परीक्षा केन्द्रों का आवंटन किया जाए जिससे परीक्षा केन्द्र पर परीक्षार्थी अलग-अलग प्रशिक्षण संस्थान के होंगे, जिससे सामूहिक नकल की घटनाओं को रोकने में सहायता होगी।