प्रयागराज। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित बीएड डिग्रीधारी शिक्षक छह महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण किए बगैर चार साल से अधिक समय से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इसके लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) भी कम जिम्मेदार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने आठ अप्रैल 2024 को केवल बीएड योग्यता के आधार पर चयनित शिक्षकों की नियुक्तियों को संरक्षित करते हुए एनसीटीई को निर्देशित किया था कि वह सालभर के अंदर छह माह के ब्रिज कोर्स को डिज़ाइन कर अधिसूचित करे। शिक्षा मंत्रालय को इसकी समग्र निगरानी का दायित्व सौंपा गया था। हालांकि समयसीमा बीतने के बावजूद छह माह का ब्रिज कोर्स तैयार नहीं हो सका है।

यही कारण है कि शिक्षकों का प्रशिक्षण भी पूरा नहीं पा रहा। शिक्षक भर्ती मामलों के जानकार राहुल पांडेय ने बताया कि एनसीटीई ने 28 जून 2018 को प्राथमिक स्कूलों की भर्ती में बीएड अर्हता को इस शर्त के साथ मान्य कर लिया था कि ऐसे शिक्षकों को नियुक्ति के दो साल के अंदर छह महीने का ब्रिज कोर्स अनिवार्य रूप से करना होगा। ताकि बीएड और डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) के प्रशिक्षण में अंतर को दूर करते हुए बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक कक्षा के बच्चों की क्षमताओं और अपेक्षाओं से अवगत कराया जा सके। उसके बाद उत्तर प्रदेश में दिसंबर 2018 में शुरू हुई 69000 शिक्षक भर्ती में बीएड को मान्य कर लिया गया और हजारों अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया।
69000 भर्ती के पहले बैच में 31,277 और दूसरे बैच में 36,590 शिक्षकों को क्रमश: अक्तूबर और दिसंबर 2020 में नियुक्ति मिली थी। बाद में डीएलएड अभ्यर्थियों की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना निरस्त कर दी थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने भी राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद यूपी के कुछ शिक्षामित्रों ने 69000 भर्ती में चयनित बीएड डिग्रीधारियों को बाहर करने की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में कर दी।
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इस मामले में बीएड शिक्षकों की तरफ से शीर्ष अदालत में पैरवी करने वाले अधिवक्ता राकेश मिश्रा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड योग्यताधारी शिक्षकों की नियुक्ति को संरक्षित करते हुए एनसीटीई को सालभर में ब्रिज कोर्स डिजाइन करने के आदेश दिए थे।
ब्रिज कोर्स डिजाइन करने के लिए एनसीटीई ने 16 जुलाई 2024 को विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था लेकिन अब तक ब्रिज कोर्स की अधिसूचना जारी नहीं हो सकी है। सूत्रों के अनुसार इस मामले को कई शिक्षक एनसीटीई को कानूनी नोटिस भेजने की तैयारी में हैं। जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की जा सकती है।