इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी द्वारा दी गई तदर्थ सेवा की अवधि उसे ग्रेच्युटी भुगतान में नियमित सेवा के साथ क्वालीफाइंग सर्विस के रूप में जोड़ी जाएगी। इस निष्कर्ष के साथ कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील को खारिज कर दिया है।
विशेष अपील में एकल न्याय पीठ के 22 मई 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी। अपील पर न्यायमूर्ति अश्विनी मिश्रा और डी रमेश की खंडपीठ ने सुनवाई की की। श्यामा देवी के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने अपील का विरोध किया। एकल न्याय पीठ ने श्यामा की याचिका पर पति द्वारा की गई तदर्थ सेवा अवधि को नियमित सेवा में जोड़ कर ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया था। इसे राज्य सरकार ने चुनौती दी थी।

अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि एकल पीठ ने याचिका में उठाए गए प्रश्नों का समाधान कर आदेश दिया। खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ ने निश्चित रूप से इस प्रश्न पर विचार किया है कि ग्रेच्युटी भुगतान किस अवधि का और किस सीमा तक किया जाना चाहिए। आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है।