प्रयागराज। समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित प्रदेश के 109 विद्यालयों की मान्यता पर तलवार लटकी है। यह विद्यालय वर्षों से एक ही शिक्षक के दम पर संचालित हैं जबकि यहां छात्र संख्या बहुत अधिक है। ऐसे में बेसिक शिक्षा की नियमावली का पालन नहीं हो पा रहा है। विद्यालयों को पूर्व में शासन स्तर से दो नोटिस दिया जा चुका है। अब तीसरे नोटिस के बाद भर्ती या समायोजन न करने पर इनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। ऐसे सर्वाधिक 14 विद्यालय प्रयागराज में संचालित हैं।

पिछले दिनों निदेशक समाज कल्याण ने प्रदेश के सभी उप निदेशकों व जिला समाज कल्याण अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान प्रयागराज का जिक्र आते ही कहा कि यहां पर एकल विद्यालयों की स्थिति क्या है। उप निदेशक समाज कल्याण सुधीर कुमार ने बताया कि जिले में 14 विद्यालय हैं। इन विद्यालयों को पूर्व में दो नोटिस दिया गया है। जिसमें इन्हें कहा गया है कि या तो यह शिक्षकों की भर्ती करें अन्यथा दो विद्यालयों को समायोजित किए जाए लेकिन इन विद्यालयों ने दोनों ही विकल्पों पर सहमति नहीं दी। अब निदेशक ने प्रदेशभर के ऐसे विद्यालयों को एक और नोटिस देकर उचित कार्रवाई के लिए कहा। साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इन विद्यालयों की मान्यता समाप्त करने के लिए शासन को पत्र लिखा जाए।
चार विद्यालयों में एक भी ट्रेंड शिक्षक नहीं: प्रदेश में चार विद्यालय ऐसे भी हैं जहां एक भी ट्रेंड या नियमित शिक्षक नहीं हैं। यहां पर शिक्षा मित्रों के सहारे काम चल रहा है। इसमें आजमगढ़ गौसपुर घुरी का राष्ट्रीय अनुसूचित जाति प्राथमिक पाठशाला, देवरिया भीखमपुर का अनुसूचित जाति प्राथमिक पाठशाला, हरदोई मोहकमपुर का अनुसूचित जाति प्राथमिक पाठशाला और हेमनखेड़ा का मोतीलाल कृषक शिक्षा निकेतन शामिल है।
मंडल के विद्यालयों की स्थिति: बाल विद्यालय नयापुरा में 15, कन्या प्राथमिक पाठशाला रमन का पुरा में 12, शांति शिक्षा सदन राजापुर में नौ, जन सेवा समिति प्राथमिक विद्यालय महाजना हंडिया में आठ, हरिजन कन्या प्राथमिक पाठशाला मलाकराज में सात, वाल्मीकि कन्या प्राथमिक विद्यालय न्याय मार्ग में पांच तथा आदिवासी प्राथमिक पाठशाला खरका, आदिवासी प्राथमिक पाठशाला घोरी, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय अकबरशाहपुर, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय मंगलपुर, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय पटेहरा, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय पटेहरी, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय कोइहला, कस्तूरबा गांधी कन्या विद्यालय चौखटा में शिक्षकों के दो-दो पद स्वीकृत हैं पर एक ही शिक्षक कार्यरत है। उधर, कौशाम्बी के गौतमबुद्ध प्राथमिक विद्यालय में सात शिक्षकों के सापेक्ष सिर्फ एक शिक्षक की तैनाती है।
जिन एकल विद्यालयों में स्वीकृत पद के सापेक्ष भर्ती नहीं की गई है, उन्हें समायोजन का विकल्प दिया गया है। इस पर जो लोग राजी नहीं होंगे, उनके विद्यालय की मान्यता समाप्त करने के लिए पत्र लिखा जाएगा।
सुधीर कुमार, उप निदेशक समाज कल्याण
क्यों नहीं हो रही है भर्ती
प्रयागराज। अफसरों का कहना है कि भर्ती के लिए रिक्त पदों का विज्ञापन विद्यालय प्रबंध तंत्र को देना होता है। इन विद्यालयों की ओर से कोई विज्ञापन नहीं दिया जा रहा है। अधिकांश मामलों में विज्ञापन जारी होते ही मामला कोर्ट में चला जाता है। इससे बचने के लिए विद्यालय प्रबंध तंत्र कोई भर्ती नहीं निकालता है।