*#प्रभारी/तदर्थ प्रधानाध्यापक बनाम स्थाई प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाध्यापक की रिक्ति की बढ़ी सम्भावनायें*
✍️ *राघवेन्द्र पाण्डेय*
*आप सभी गुरूजनों को सादर जय सीताराम 💐💐👏*
*आप सभी को अवगत कराना है कि प्रभारी प्रधानाध्यापक के मामले में डिवीजन बेंच ने अपना शानदार फ़ैसला सुनाया है,जो 150 बच्चों से कम वाले प्राइमरी स्कूल एवं 100 से कम बच्चों वाले अपर प्राइमरी स्कूल में प्रधानाध्यापक पद पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, की समस्या का समाधान हो गया है, माननीय न्यायमूर्ति श्री अश्वनी कुमार मिश्र जी ने स्पष्ट कर दिया कि जब विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद विद्यमान थे तो बच्चों की संख्या घटने से पद स्वत: समाप्त नहीं हो जाते, RTE ऐक्ट में जो मानक दिखाया गया है, वह अनिवार्यत: को दर्शाता है, न कि बच्चे घट जाने के बाद पद को समाप्त करता है, कोई भी संस्थान बिना मुखिया के नहीं चल सकता है, किसी को अस्थाई जिम्मेदारी मिलेगी तो उसके महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है*

*समायोजन के मामले में कुछ लोगों ने पूरे प्रदेश में शोर मचाया कि वह कक्षा को इकाई साबित कर देंगे, नई भर्तियों की भरमार हो जाएगी, जबकि अंतिम आदेश में ऐसा कुछ नहीं आया,क्योंकि वह मामला ही इससे संबंधित नहीं था*
*जबकि इलाहाबाद में जब ऐडेड मिडिल स्कूल में तदर्थ प्रधानाध्यापक का मामला आया तो बेसिक में पूर्व से चल रहे मामले को लेकर मै सक्रिय हुआ, Tripurari Dubey केस के आदेश के बाद मैंने भी कई याचिकाएं किया, इलाहाबाद में मेरी याचिका के आदेश को डिवीजन बेंच मे चुनौती नहीं दिया गया था, इसके बावजूद भी डिवीजन बेंच में मैंने अपना वकील उतारा, लखनऊ उच्च न्यायालय में मेरे एकल पीठ के आदेश को डिवीजन बेंच मे सचिव एवं BSA द्वारा चुनौती दी गई है, अब यही इलाहाबाद का आदेश वहाँ भी करवाएंगे,मुझे यह भी पता है कि यह आदेश माननीय सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज होगा*
*तदर्थ प्रधानाध्यापक मामले में प्रभारी प्रधानाध्यापक को तदर्थ प्रधानाध्यापक का वेतन न देना पड़े ,इसके लिए सचिव ने उनकी पात्रता पर भी सवाल उठाया, माननीय डिवीजन बेंच ने कहा कि आपने उनको TET का विकल्प क्यों नहीं दिया?*
*साथ ही साथ यह भी स्पष्ट कर दिया कि जो 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त हैं, तब तो TET ही नहीं थी, जो काम ले रहे हो, उसका वेतन तो देना ही पड़ेगा*
*मुझे भी पता है कि बेसिक शिक्षकों का कैडर जिलास्तर का है, परन्तु किसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक का पद रिक्त होने पर अन्य विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक को क्यों नहीं प्रभारी प्रधानाध्यापक बना दिया जाता है?,प्रभारी का कार्य तो उसी विद्यालय का शिक्षक करता है, जिसके विद्यालय में पद रिक्त होता है,रही बात पदोन्नति की तो सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आने के बाद पदोन्नति के लिए प्रयास किया जाएगा, परन्तु बात प्रभारी या तदर्थ प्रधानाध्यापक की है तो उसी विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों में जो जिलास्तर पर सबसे वरिष्ठ होगा, वही प्रभारी या तदर्थ प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी संभालेगा,माननीय न्यायमूर्ति श्री अश्वनी कुमार मिश्र जी का यही अभिप्राय है,किसी विद्यालय के रिक्त प्रधानाध्यापक के पद पर प्रभारी के रूप में किसी अन्य विद्यालय का शिक्षक जो कि जिलास्तर पर सबसे वरिष्ठ होगा उसको नहीं खोजा जाएगा, उसको तो तब अवसर मिलेगा जब पदोन्नति से स्थाई प्रधानाध्यापक की नियुक्ति होगी*
*पदोन्नति पर भी मैंने मुक़दमे को लड़ा और प्रभारी मामले पर भी मै काम कर रहा हूँ, प्रभारी मामले से रिक्ति की अपार संभावनायें बनी हैं, एवं पदोन्नति मामले से उसपर स्थाई नियुक्ति होगी, परन्तु दोनों मामले की खिचड़ी मै नहीं बना सकता हूँ या उचित नहीं समझता, प्रभारी उसी विद्यालय का होना चाहिए जिस विद्यालय मे पद रिक्त हो*
*समायोजन मामले में भी आप आदेश में पढ़ सकते हैं,कि समायोजन हेतु वरिष्ठता का निर्धारण रूल 17 या 17(A) से करने से बात की गई है,बाकी तो कुछ लोगों की आदत ही है कि वे आपदा में अवसर की तलाश करते हैं*
*बाकी मैंने जिससे सीखा है यही सीखा है कि मानवीय मूल्यों को तरजीह दें, एवं नैतिकता का पालन करें, इसी मूलविंदु के कारण मैंने 29-07-2011 के पहले नियुक्त शिक्षको के लिए मैंने बगैर TET पदोन्नति का पक्ष लिया, जिसका परिणाम शीघ्र ही सुप्रीम कोर्ट से आएगा, फैसला मेरे पक्ष मे हो या विपक्ष में हो, मुझे स्वीकार होगा*
*प्रभारी प्रधानाध्यापक मामले में लड़ाई प्रभारी प्रधानाध्यापक लड़ रहे हैं तो किसी ऐसे विद्यालय में कार्यरत सहायक अध्यापक जो कि जिले में सबसे वरिष्ठ है, परन्तु वहाँ उनके विद्यालय में पहले से ही स्थाई हेडमास्टर कार्य कर रहे हैं, तो उन सहायक अध्यापक की पदोन्नति के पक्ष में तो मैं हूँ, परन्तु किसी अन्य विद्यालय में यदि कोई प्रभारी कार्य कर रहा है तो उसके स्थान पर उन वरिष्ठ सहायक अध्यापक महोदय को उनके स्कूल से हटाकर दूसरे स्कूल में प्रभारी/तदर्थ प्रधानाध्यापक बनाने का मै पक्षधर नहीं हूँ, जबकि आप निष्कर्ष में देखेंगे कि यदि पदोन्नति हो तो वे वरिष्ठ सहायक अध्यापक महोदय दूसरे विद्यालय में जाकर स्थाई प्रधानाध्यापक बन जायेंगे, परन्तु नैतिक रूप से प्रभारी प्रधानाध्यापक की लड़ाई वे नहीं लड़ रहे हैं, इसलिए नैतिक रूप से मैंने जिस लड़ाई को जो लड़ रहा है उसी के साथ हूँ*
✍️ *राघवेन्द्र पाण्डेय*