निदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए को स्पष्ट सुसंगत आदेश पारित करने का दिया निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्रुखाबाद के बीएसए की ओर से बिना शर्त माफी मांगने, अपनी गलती सुधारने और भविष्य में अदालत के आदेशों का पालन करने का वचन देने के बाद मातृत्व अवकाश से संबंधित याचिका निस्तारित कर दी।
अधिकारियों ने एक हलफनामा दायर कर अदालत को बताया कि याची किरण देवी का दूसरा मातृत्व अवकाश स्वीकृत कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा निदेशक, लखनऊ ने अदालत को सूचित किया कि बीएसए को न केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, बल्कि
सभी बीएसए को एक परिपत्र भी जारी किया गया है।

सभी को कानूनी प्रावधानों, सरकारी आदेशों, विभागीय नियमों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट और सुसंगत आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया है। इस हलफनामे के बाद अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने किरण देवी की याचिका पर दिया।
अदालत के निर्देश पर प्रताप सिंह बघेल (निदेशक बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश), सुरेंद्र प्रसाद तिवारी (सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज) और गौतम प्रसाद (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, फर्रुखाबाद) कोर्ट में उपस्थित हुए। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश ने हाजिरी माफी की
अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
16 साल बाद बर्खास्त क्लर्क की नियुक्ति वैध तो प्रदान करें सतत सेवा लाभ
मामला 7 याची की नियुक्ति वैध पाई जाती है तो नियुक्ति प्राधिकारी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 वर्ष तक सेवा देने के बाद बर्खास्त किए गए क्लर्क प्रकाश खरे को बड़ी राहत दी है। कहा है कि ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ के सिद्धांत पर पुनर्विचार करते हुए याची को सतत सेवा के सभी लाभ प्रदान करें। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने दिया है। ललितपुर निवासी प्रकाश खरे को 1995 में शिक्षिका रमा देवी खरे की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर अनुकंपा के आधार पर क्लर्क पद पर नियुक्त किया गया था। वर्ष 2011 में एक अज्ञात शिकायत के आधार पर यह कहकर सेवा से हटा दिया गया कि वह दिवंगत शिक्षिका का दत्तक पुत्र नहीं है। हालांकि, याची ने अब कोर्ट में प्रमाणित दस्तावेज और शपथपत्र दाखिल कर यह साबित किया कि वह विधिक रूप से गोद लिया गया था। कोर्ट ने माना कि याची के पास अब पर्याप्त दस्तावेज हैं और परिवार का कोई अन्य सदस्य नियुक्ति पर आपत्ति नहीं कर रहा है। ऐसे में बर्खास्तगी का आदेश निरस्त किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि 2011 से नए आदेश तक की अवधि को ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ मानते हुए याची को सेवा में जारी माना जा सकता है। संवाद