राजकीय विद्यालयों में भविष्य में होने वाली कंप्यूटर विषय की एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) भर्ती में बीएड की अनिवार्यता से छूट दिए जाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अभी नई चयन प्रक्रिया का विज्ञापन जारी नहीं किया है, लेकिन अभ्यर्थी नियमावली में संशोधन को लेकर कोर्ट का चक्कर लगाने लगे हैं। शासन से मंजूरी के बाद 28 मार्च को जारी उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा (षष्टम संशोधन) नियमावली 2024 में बीएड की अनिवार्यता से छूट दी गई है।

इससे पहले 2018 की एलटी ग्रेड भर्ती में पहली बार राजकीय विद्यालयों में कंप्यूटर विषय को शामिल किया गया था। उस समय कंप्यूटर विषय के लिए बीएड की अर्हता अनिवार्य थी और विज्ञापित 1673 पदों में से 1637 खाली रह गए थे। अब माध्यमिक शिक्षा विभाग ने बीएड की अनिवार्यता समाप्त करते हुए उसे अधिमानी अर्हता के रूप में शामिल किया गया है। यानी बीएड करने वालों को चयन में वरीयता तो मिलेगी, लेकिन बीएड नहीं करने वाले अभ्यर्थी भी सहायक अध्यापक बन सकेंगे। इसके खिलाफ अमरोहा के परवीन सिंह एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका की है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना में बीएड को अनिवार्य किया गया है। ऐसे में सहायक अध्यापक भर्ती में मनमाने तरीके से अधिमानी अर्हता नहीं किया जा सकता। 13 मई को इस मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश देने के साथ 21 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख लगाई है।