लखनऊः प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की लगातार बढ़ रही संख्या और उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों के हितों के दृष्टिगत उच्च शिक्षा विभाग ने इन विश्वविद्यालयों की निगरानी के लिए पांच विशेष कमेटियां गठित की हैं। हर कमेटी में पांच सदस्य हैं। इन कमेटियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं। कमेटियां निजी विश्वविद्यालयों का आकस्मिक निरीक्षण करेंगी और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगी। रिपोर्ट में खामियां मिलने पर संबंधित विश्वविद्यालय के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गंभीर मामलों में मान्यता रद करने तक की कार्रवाई की जा सकती है।

प्रदेश में इस समय कुल 47 निजी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनमें करीब 2.66 लाख विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें से कई विश्वविद्यालय बेहतर काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ पर शैक्षणिक
निगरानी के लिए शासन ने गठित की पांच विशेष कमेटियां
खामियां मिलने पर विश्वविद्यालय के खिलाफ होगी कार्रवाई
इस साल के अंत तक हो जाएंगे 50 निजी विश्वविद्यालय
प्रदेश में इस वर्ष के अंत तक तीन और निजी विश्वविद्यालय खुलने की संभावना है, जिससे इनकी संख्या 47 से बढ़कर 50 तक पहुंच जाएगी। प्रदेश में सबसे ज्यादा 18 निजी विश्वविद्यालय मेरठ मंडल में हैं। आगरा मंडल में आठ निजी विश्वविद्यालय हैं।
गुणवत्ता, बुनियादी सुविधाएं और नियामक मानकों के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। इसी को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल के निर्देश पर गठित की गईं यह निगरानी कमेटियां सभी निजी विश्वविद्यालयों में जाकर देखेंगी कि वहां शिक्षा की गुणवत्ता कैसी है, फैकल्टी योग्य है या नहीं,
छात्र-छात्राओं को बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं।
कमेटियां यह भी देखेंगी कि निजी विश्वविद्यालयों द्वारा उप्र निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 का पालन किया जा रहा है या नहीं। इस अधिनियम के तहत शहरी क्षेत्र में निजी विश्वविद्यालय खोलने के लिए न्यूनतम 20 एकड़ और ग्रामीण क्षेत्र में 50 एकड़ जमीन अनिवार्य
47 निजी विश्वविद्यालयों में हैं 2.66 लाख विद्यार्थी
यदि किसी निजी विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया या नियमों का उल्लंघन हुआ, तो विभाग कठोर कार्रवाई करेगा। छात्रों या उनके अभिभावक की शिकायतों की कमेटियां जांच करेंगी।
डा. दिनेश कुमार राजपूत, अपर सचिव
उच्च शिक्षा परिषद
है। साथ ही विश्वविद्यालय संचालकों
को पांच करोड़ रुपये की एफडी भी जमा करनी होती है, जिसका ब्याज ही वे उपयोग में ला सकते हैं। कमेटियां जिन बिंदुओं पर निगरानी करेगी, उनमें शैक्षणिक गतिविधियां, नियमित कक्षाएं, कोर्स की पूर्णता, फैकल्टी की नियुक्ति, छात्र शिकायत निवारण प्रणाली, फीस संरचना और बुनियादी ढांचे की स्थिति प्रमुख हैं।