सर्व शिक्षा अभियान पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी बाजपेई जी के नेतृत्व वाली सरकार ने पारित किया था सरकार की सोच थी कि 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाए ।इस अभियान के अंतर्गत सरकार ने प्रत्येक गाँव व मजरे में प्राथमिक विद्यालय व प्रत्येक किमी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापना हेतु भवन सहित तमाम संसाधन उपलब्ध कराए
परंतु आज कम/अपर्याप्त छात्र संख्या के आधार पर विद्यालयों को समाप्त करके अन्य विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध कराने की योजना तैयार की गई है
परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत जनसंख्या वृद्धि की दर घट रही है दूसरी तरफ़ विभाग ने तमाम अधो मानक विद्यालयों को मान्यता प्रदान कर रखी है तमाम ग़ैर मान्यता के विद्यालय अधिकारियों की मिलीभगत से आज भी संचालित हो रहे है ऐसे में नामांकन कम होना स्वाभाविक है
सरकार ने विधान सभा में सदैव माना है कि छात्र व शिक्षक अनुपात उत्तर प्रदेश में मानक के अनुसार सही है तो फिर विद्यालयों को बंद करने की जरूरत क्या है और यदि सरकार को लगता है कि शिक्षकों की आवश्यकता है तो उसकी कमी नई भर्ती करके करनी चाहिए न कि विद्यालय बंद करके ।

इससे गाँव देहात के तमाम बच्चों से शिक्षा दूर हो जाएगी
लगभग २० हज़ार विद्यालयों का मर्जर पूर्व में करके शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर समाप्त कर दिए गए ।वर्ष 2015 से आज तक किसी भी शिक्षक की पदोन्नति नहीं हुई ।इस आदेश से शिक्षकों के हजारों पद समाप्त हो जायेंगे
जिससे कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति नहीं होगी
जो डी एल एड या बीटीसी पास युवक युवतियाँ शिक्षक बनने की उम्मीद में हैं वे शिक्षक नहीं बन पाएंगे
माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि इस आदेश को निरस्त करने की कृपा करें।
वैसे भी किसी राज्य में शराब की दुकानों की संख्या में वृद्धि तथा विद्यालयों की संख्या में कमी की नीति आलोचना का कारण बनेगी
जब ग्रामीणों को पता चलेगा कि उनके गाँव का विद्यालय दूसरे गाँव में शिफ्ट किया जा रहा है तो जन आक्रोश लाजिमी होगा ।