आयकर रिटर्न में जरा सी गड़बड़ी भारी पड़ सकती है। इस बार अगर रिटर्न से जुड़े विवरण और दस्तावेजों का मिलान नहीं हुआ तो आपको आयकर विभाग के नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।

आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि रिटर्न दाखिल करने से पहले कर संग्रह और अन्य विवरण का ठीक से मिलान कर लें। उसके बाद अगर कर योग्य देनदारी बनती है तो उसे जमा कर रिटर्न दाखिल करें या फिर रिफंड की स्थिति में रिफंड पाने के लिए दावा करें।
इस बार आयकर विभाग रिटर्न के लिए एडवांस सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें रिटर्न विवरण का दस्तावेजों के साथ मिलान ज्यादा सटीक तरीके से किया जा रहा है।
इस काम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी (एआई) का भी उपयोग किया जा रहा है। इसलिए रिटर्न दाखिल करते वक्त सभी दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। खासकर अगर कोई व्यक्ति पुरानी कर व्यवस्था के तहत रिटर्न दाखिल कर रहा है तो उन्हें अपने निवेश, ऋण और कर छूट से जुड़े अन्य दावों के सापेक्ष सभी दस्तावेज भी ऑनलाइन अपलोड करने होंगे।
रिटर्न दाखिल करते वक्त अपने सभी बैंक खातों की जानकारी देनी होगी। अगर किसी खाते का ब्योरा वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) में नहीं है तो वह भी उपलब्ध कराना होगा। इसलिए इस बार आयकर विभाग ने आईटीआर फॉर्म में कई बदलाव किए हैं। खास तौर पर नौकरीपेशा और छोटे कारोबारियों के लिए आईटीआर फॉर्म-1 और फॉर्म-4 को समझना जरूरी है।
आईटीआर फॉर्म-1 (सहज)
यह एक पन्ने का फॉर्म है। इसे खासतौर पर नौकरीपेशा, पेंशनभोगी और सीमित आय वाले व्यक्तियों के लिए तैयार किया गया है। अगर आपकी सालाना कुल आय 50 लाख रुपये या उससे कम है, तो आप यह फॉर्म भर सकते हैं। इसमें नौकरी से आय, एक हाउस प्रॉपर्टी, अन्य स्रोत जैसे ब्याज, सेक्शन 112ए के तहत 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन और 5,000 रुपये तक की कृषि आय शामिल है।
एआईएस के बाद भी फॉर्म 26 एएस जरूरी
कुछ लोग रिटर्न भरते वक्त सिर्फ वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) देखते हैं जो आपकी वित्तीय वर्ष में आपके द्वारा किए गए लेनदेन का ब्योरा देता है। इसमें म्यूचुअल फंड, शेयर, क्रेडिट कार्ड, संपत्ति की खरीद व बिक्री से जुड़ा ब्योरा दिया जाता है लेकिन फॉर्म 26एएस काफी जरूरी है क्योंकि यह कर से जुड़ी आधिकारिक जानकारी देता है।
आईटीआर फॉर्म-4 (सुगम)
यह फॉर्म व्यक्तिगत, हिंदू अविभाजित परिवार या फर्म द्वारा दाखिल किया जा सकता है। इसमें सालाना आय 50 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। कारोबार या व्यवसाय से आय की गणना धारा 44एडी, 44एडीए या 44एई के तहत की जाएगी। वेतन/पेंशन, एक गृह संपत्ति, कृषि से 5,000 तक आय प्राप्त करने वाले यह रिटर्न भर सकते हैं।
फॉर्म 26एएस से करें मिलान
रिटर्न भरते वक्त फॉर्म-26 एएस से जुड़े विवरण को जरूर देख लें। इसमें आधिकारिक समग्र कर विवरण उपलब्ध होता है। आपके पैन कार्ड नंबर पर हुई कर कटौती, एडवांस टैक्स, टीसीएस, रिफंड और उच्च मूल्य वाले लेनदेन की जानकारी होती है। इस फॉर्म के जरिए सारा विवरण देख कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना कर जमा करना है। यह भी सुनिश्चित करें कि आपका टीसीएस और टीडीएस सही है या नहीं।