लखनऊ। वार्षिक स्थानांतरण नीति लागू होने के बाद राज्य कर विभाग में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक समूह ग के कर्मचारियों का तबादला विभागाध्यक्ष के अनुमोदन से होगा। समूह ग और घ के अधिकतम 10 फीसदी ट्रांसफर किए जाएंगे। अपरिहार्य स्थिति में 20 फीसदी तबादला विभागीय मंत्री के अनुमोदन से होगा। संदिग्ध आचरण वाले कर्मचारियों की तैनाती संवेदनशील पदों पर नहीं की जाएगी।

बीमारी और दिव्यांगता के मामलों में तबादले के नियमों में ढील दी गई है। मंदबुद्धि या दिव्यांग बच्चों के मां-बाप का तबादला उस जगह होगा, जहां इलाज की सुविधा हो। जिनके आश्रित 40 फीसदी दिव्यांगता की श्रेणी में आएंगे, उन्हें सामान्य तबादले से मुक्त रखा जाएगा। व्यक्तिगत कारणों जैसे बच्चे, बीमारी या मां-बाप की देखभाल के मामलों में ट्रांसफर और समायोजन किया जा सकेगा, बशर्ते प्रशासनिक आपत्ति न हो।
आंकाक्षी घोषित आठ जिलों चित्रकूट, सोनभद्र, चंदौली, फतेहपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती और बहराइच में तैनाती दो वर्ष के लिए की जाएगी। इसके बाद उनसे
विकल्प लेकर ट्रांसफर किया जाएगा। संगठन के अध्यक्ष और सचिव के ट्रांसफर दो वर्ष तक नहीं होंगे। जिन पदाधिकारियों का अधिकतम कार्यकाल तीन वर्ष या सात वर्ष है, उन्हें भी अधिकतम दो वर्ष की ही छूट मिलेगी..
पदोन्नति से मना करने वालों का हर हाल में तबादला
भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता के मामलों में कर्मचारी का ट्रांसफर करने पर भी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। अब तबादला होने के साथ ही जांच के आदेश भी दिए जाएंगे। पहले आरोपों के बाद ट्रांसफर होने से कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई नहीं हो पाती थी। जोन के बाद स्वेच्छा के आधार पर तबादले के इच्छुक कर्मचारी दो जून तक आवेदन कर सकेंगे। जिन कर्मचारियों ने किन्ही कारणों से पदोन्नति स्वीकार नहीं की, उनका हर हाल में तबादला होगा। ऐसे कर्मचारियों की तैनाती सचलदल, एसआईबी और अपर आयुक्त अपील के कार्यालय में भविष्य में नहीं की जाएगी