हमीरपुर(मौदहा), । मोटापे की दुश्वारियों और बॉडी शेमिंग ने शिक्षिका का मन इस कदर दुखाया कि वह जीने का हौसला ही हार बैठी। 28 वर्षीया निजी स्कूल की शिक्षिका ने मंगलवार देर रात घर की छत पर बने कमरे में खुद को जिंदा जला कर जान दे दी। खुदकुशी से पहले उसने एक सुसाइड नोट में लिखा, ‘पापा-मम्मी मैं अब हिम्मत हार गयी हूं।’ पोस्टमार्टम के बाद बुधवार देर शाम उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। शिक्षिका के दुखद अंत ने बॉडी शेमिंग (शरीर पर शर्मसार करने वाली टिप्पणियों) के बदसूरत असर की परतें उधेड़ दी हैं।
कस्बे के थोक किराना व्यापारी सुनील गुप्ता की बेटी सालवी थायराइड असंतुलन की मरीज थी। उसका कद करीब पांच फीट और वजन 90 किलो था। लंबे समय से इलाज चल रहा था। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक इसी वजह से वह डिप्रेशन में थी। व्यस्त रहने को परिवार ने उसे एक निजी स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम करने को प्रेरित किया। पढ़ाई के दौरान सहपाठियों और पढ़ाने के दौरान छात्रों की मोटापे पर टिप्पणियों से वह अक्सर आहत होती थी। अंतत: मंगलवार रात वह इस कदर हताश हुई कि उसने आत्मदाह कर जान देने का भयानक रास्ता चुन लिया। उसने छत पर बने अपने कमरे में खुद को आग लगा ली। नीचे घर में मौजूद लोगों को जब तक पता चलता, वह जल कर गिर चुकी थी। आनन-फानन परिजनों ने दरवाजा तोड़ कर उसे निकाला और सीएचसी ले गए, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। एसएचओ उमेश सिंह ने कहा-सालवी ने मोटापे की बीमारी की वजह से आग लगाकर आत्महत्या की है। वह मानसिक तनाव से भी ग्रसित रहती थी। जांच की जा रही है। फोरेंसिक टीम ने भी मौका मुआयना किया है। पोस्टमार्टम में उसके 70 प्रतिशत जलने की तस्दीक हुई है।

कस्बे में फेवीक्विक से होंठ चिपकाने की चर्चा
अंतिम संस्कार के बाद कस्बे में चर्चा शुरू हुई कि उसने खुद को आग लगाने से पहले अपने होंठों को फेवीक्विक से चिपका लिया था, ताकि उसकी आवाज परिवार के सदस्यों तक न जाए। देर रात एसपी ने ऐसी किसी जानकारी से इनकार किया है।
कद-काठी और रंग-रूप की ज्यादा चिंता खतरे की घंटी
कानपुर। हमीरपुर में मोटापे से दुखी शिक्षिका के आत्मदाह ने बॉडी शेप और बॉडी शेमिंग को जेर-ए-बहस ला दिया है। इस सवाल पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. धनजंय चौधरी ने कहा- मोटापा, दुर्बलता, सुंदरता, बौनेपन को लेकर कोई बहुत ज्यादा सोचे या बात करे तो इसे सामान्य न मानें। संबंधित व्यक्ति के हावभाव पर अभिभावकों को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। सोमैटोफॉर्म डिसऑर्डर की चपेट में आने वाला व्यक्ति सामाजिक तौर पर खुद को अलग और असफल मान लेता है। यह एक गंभीर मानसिक विकार है।
सालवी के साथ पढ़े कस्बे के एक युवक ने बताया कि जब वह पढ़ती थी, कई सहपाठी उसके मोटापे पर टिप्पणी करते थे। तब भी वह आहत होकर रोती थी। वर्तमान में वह जिस स्कूल में पढ़ाती थी, वहां के बच्चे अक्सर मोटी टीचर कहकर उसे चिढ़ा देते थे। इससे वह आहत रहती थी। एक शिक्षिका के मुताबिक वह अक्सर कहती थी कि मेरे मोटापे की वजह से मुझसे कौन शादी करेगा।