वाराणसी। मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के प्रवक्ता जिले के 100 डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) प्रशिक्षुओं पर इंटरनेट के उपयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण शोध कर रहे हैं।

इस शोध का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षुओं पर इंटरनेट के पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का आकलन करना है। शोध के निष्कर्ष अगले माह जारी किए जाएंगे, जिससे यह पता चलेगा कि भावी शिक्षकों के बीच इंटरनेट की आदतें और उनका शैक्षणिक जीवन किस प्रकार प्रभावित हो रहा है।
इस शोध के लिए मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र की मनोवैज्ञानिक बनानी घोष नेतृत्व में सहयोगी जितेंद्र कुमार ने एक विस्तृत प्रश्नावली तैयार की है। इसमें कुल 20 प्रश्न शामिल हैं।
ये प्रश्न इंटरनेट उपयोगकर्ताओं से उनके दैनिक जीवन में इंटरनेट के प्रयोग, इसके प्रति उनकी निर्भरता और यदि उन्हें इंटरनेट का उपयोग करने से
मना किया जाए तो उनकी संभावित प्रतिक्रियाओं जैसे विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए तैयार किए गए हैं। शोध में यह भी जानने की कोशिश की जा रही है कि प्रशिक्षु इंटरनेट का उपयोग मुख्य रूप से किस प्रकार की गतिविधियों के लिए करते हैं।
मनोवैज्ञानिक जितेंद्र कुमार ने बताया कि यह पहली बार है जब डीएलएड प्रशिक्षुओं पर इंटरनेट के प्रयोग और उसके प्रभाव को लेकर इस तरह का विस्तृत शोध किया जा रहा है।
वर्तमान में इंटरनेट शिक्षा और जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है और भावी शिक्षकों के रूप में इन प्रशिक्षुओं का इंटरनेट के प्रति दृष्टिकोण और इसका उनके जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव जानना महत्वपूर्ण है।