सोनभद्र। लंबे इंतजार के बाद अंतर जनपदीय तबादला पाने वाले शिक्षकों को बेसिक शिक्षा विभाग की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। तबादला मंजूर होने के बाद भी बुधवार की देर रात तक उन्हें रिलिविंग ऑर्डर (कार्यमुक्त आदेश) के लिए परेशान होना पड़ा। वह पूरे दिन कार्यालय के बाहर इंतजार करते रहे। छोटे बच्चों के साथ आई महिला शिक्षकों को परेशानी झेलनी पड़ी। नाराज शिक्षकों ने हंगामा मचाया, तब आधी रात को उन्हें रिलिविंग ऑर्डर दिए गए। विभाग के रवैये के प्रति उनमें कड़ी नाराजगी रही।

नीति आयोग के आकांक्षी जिले में शिक्षकों के तबादले पर लंबे समय तक रोक लगी थी। बाद में परस्पर तबादले की प्रक्रिया शुरू हुई तो बड़ी मुश्किल से शिक्षकों ने साथी ढूंढा। उन्हें अपनी जगह तैनाती लेने के लिए राजी किया। लंबी माथापच्ची के बाद जिले के 124 शिक्षकों को परस्पर तबादला स्वीकृत हुआ था। इन शिक्षकों को नए कार्यस्थल पर पांच जून तक कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए थे। इसके लिए शिक्षक एक दिन पहले ही बीएसए कार्यालय पर रिलिविंग ऑर्डर पाने के लिए जुट गए थे। शिक्षकों का आरोप है कि बीएसए के बाहर होने की दलील देकर उन्हें दिन भर इंतजार कराया गया। देर शाम तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि उन्हें कब तक कार्यमुक्त किया जाएगा। बारिश के बीच महिला-पुरुष शिक्षक बीएसए कार्यालय के बाहर डटे रहे। इस बीच उनके साथ मौजूद छोटे बच्चों को भी परेशानी झेलनी पड़ी। शिक्षकों का कहना था कि 31 मई से एक जून के बीच ही बीईओ स्तर से सभी शिक्षकों को कार्यमुक्त कर दिया गया था, मगर उसके बाद उन्हें बीएसए कार्यालय पर उलझा कर रखा गया। अंतिम तिथि तक कार्यमुक्त आदेश देने में आनाकानी होती रही। देर रात तक शिक्षकों का सब्र टूटा और उन्होंने हंगामा किया। तब रात करीब 12 बजे के बाद रिलिविंग ऑर्डर थमाया गया। विभाग के इस रवैये के प्रति शिक्षकों में कड़ी नाराजगी दिखी। उनका कहना था कि चहेते शिक्षकों को पहले ही रिलिव कर दिया गया, लेकिन उन्हें जानबूझकर रोके रखा गया।
किसी को 400 तो किसी को जाना था 800 किमी दूर
शिक्षक अलका सिंह ने बताया कि रात 12 बजे के बाद रिलिविंग ऑर्डर दिया गया है। वह पांच जून तक चार सौ किमी से अधिक दूर कुशीनगर पहुंचकर कैसे ज्वाइन कर पाएंगी। शिक्षक हिमांशु यादव को संभल जाना था। बताया कि दो जून से रिलिविंग ऑर्डर के लिए भटक रहा हूं। दो और तीन जून को बीएसए से भी मिला था। तब प्रतिस्थानीय के आने का इंतजार करने को कहा गया था। बुधवार को सुबह दस बजे से खड़ा रहा और रात साढ़े दस बजे तक आदेश नहीं मिल पाया। ढाई महीने के बच्चे को गोद में लेकर बुधवार की सुबह से खड़ी शिक्षिका प्रीति वर्मा ने कहा कि रात को दस बज रहे हैं। भूखे प्यासे बच्चे को लेकर सुबह से हूं। कोई जवाब नहीं दे रहा है। बलरामपुर कम समय में पहुंचकर कैसे ज्वाइनिंग हो पाएगी, समझ ही नहीं आ रहा है।
जमीन पर मासूमों को सुलाया
महिला शिक्षकों के साथ उनके बच्चे भी थे। इसमें कई शिक्षकाओं के बच्चों की उम्र छह माह से दो साल के बीच रही। देर रात तक आदेश न मिलने के कारण शिक्षक भूखे प्यासे कार्यालय पर डटे रहे। जिन शिक्षिकाओं के पास खुद की कार थी, उन्होंने बच्चों को कार में सुलाया। हालांकि मजबूरी में कई मासूमों को घास के मैदान में रूमाल बिछाकर सुलाया गया। इससे विषैले जंतुओं के काटने का खतरा भी बना रहा।
सभी शिक्षकों को रिलिविंग आर्डर दे दिया गया है। कागजों के सत्यापन में देरी हुई है। विभागीय निर्देशों के मुताबिक प्रकिया को सकुशल संपन्न कराया गया है। -मुकुल आनंद पांडेय, बीएसए।